मरकज में शामिल हर एक जमाती को किया गया ट्रेस

  

नई दिल्ली
जनवरी का आखिरी सप्ताह चल रहा था जब भारत में कोरोना वायरस का सबसे पहला मरीज मिला। उस वक्त तक किसी ने नहीं सोचा था कि यह जानलेवा बीमारी इतनी तेजी से पूरे देश को अपनी जद में ले लेगी। फिलहाल भारत में 7.5 हजार से ज्यादा लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। संक्रमण से कोविड-19 बीमारी की चपेट में आकर 250 से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ दिया है।

अचानक सुर्खियों में आया निजामुद्दीन मरकज
24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद हजरत निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का आलिमी मरकज सुर्खियों में आ गया। यहां जमात के धार्मिक कार्यक्रम 'जोड़' का आयोजन हुआ था जिसमें शामिल होने आए दो हजार से भी ज्यादा लोग मरकज में ही रुक गए। इनमें से बड़ी संख्या में विदेशी भी थे जो टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे जबकि हजारों लोग विभिन्न राज्यों में स्थित अपने-अपने घरों को लौट चुके थे। उधर, कई विदेशी मुसमलानों ने धर्म प्रचार के लिए देशभर के मस्जिदों में शरण ले रखी थी।

मैक ने कैसे बनाई रणनीति
इस खबर ने सरकार, स्वास्थ्यकर्मियों और प्रशासनिक अमले को सकते में डाल दिया कि जमाती पहले निजामुद्दीन मरकज में इकट्ठा हुए और धार्मिक कार्यक्रम के बाद पूरे देश में फैल गए हैं। यही वजह है कि जमातियों का पता लगाने की इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की मदद ली गई जिसने पूरी दक्षता से अपने काम को अंजाम दिया।

मैक ने पिछले महीने में जमात से जुड़े कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की पहचान की और भारत को बड़े संकट से बचा लिया। अगर वक्त रहते आईबी की मैक टीम इन्हें नहीं पकड़ती तो शायद बड़ी अनहोनी हो सकती थी। आईबी ने उन लोगों पर भी नजर रखी जो जमात का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उस दौरान मरकज के आसपास ही थे जब यह घातक वायरस इलाके में पांव पसार रहा था।

मोबाइल टावरों से ली गई मदद
आईबी के शीर्ष सूत्रों ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया कि इन सभी लोगों की पहचान करने के लिए निजामुद्दीन इलाके के कई मोबाइल टावरों की मदद से 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का बड़े पैमाने पर डेटा स्टोर किया गया। इस डेटा से मरकज के आसपास के क्षेत्र में उस दौरान हुए हलचल से उनकी पहचान करने में मदद मिली। इस पूरी कवायद की खास बात यह रही कि इसमें बहुत तेजी से निर्णय लिए गए और किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहने दी गई।

निजामुद्दीन से हैदराबाद जाने वाली ट्रेन से मिली खबर
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया, 'मार्च के दूसरे सप्ताह में हमें निजामुद्दीन से खुलकर हैदराबाद पहुंचने वाली ट्रेन को लेकर एक शुरुआती खबर मिली। स्थानीय प्रशासन को पता चला कि इन ट्रेनों में सफर कर रहे ज्यादातर यात्री जमाती हैं और उनमें से कई कोविड-19 पॉजिटिव हैं। तब विजयवाड़ा के इंटेलिजेंस ब्यूरो के आईजी ने ऊपर तक ये डरावनी जानकारियां पहुंचाईं।' इधर, 20 मार्च तक मरकज से लौटकर आए 10 इंडोनेशियाई जमातियों की कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी।

2,500 जमातियों को किया गया ट्रेस
वहीं ग्राउंड जीरो पर अधिकारियों ने पाया कि 23 मार्च तक 1,500 जामातियों ने मरकज छोड़ दिया, लेकिन उनमें से 1,000 लोग इस घनी आबादी वाले निजामुद्दीन इलाके में बनी जमात की छह मंजिला इमारत में रुके हुए थे। तब आधिकारिक रजिस्टरों के माध्यम से आईबी ने भारत के दक्षिणी राज्यों से तबलिगी जमात में आए लगभग 4,000 सदस्यों के मोबाइल नंबरों और पतों की जानकारी जुटाई जो 13 मार्च से मरकज की बैठक में शामिल हुए थे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश
तब देश के अन्य हिस्सों में वायरस के प्रकोप को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के महामारी और संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह मार्च के दूसरे और तीसरे सप्ताह में इस भीड़ वाले निजामुद्दीन क्षेत्र में आने वाले सभी लोगों की पहचान करे और उनका कोविड-19 परीक्षण करे। एक डीजी स्तर के आईपीएस अधिकारी ने कहा, 'यह एक बहुत बड़ा टास्क था, जिसके बारे में वास्तव में विभाग में सुना भी नहीं गया था। हालांकि, सेल्युलर फोन की मदद से आईबी के अधिकारियों ने ऑपरेशन शुरू किया। बहुत ही कम समय में बहुत विशाल डेटा को इकट्ठा करना पड़ा और उसका विश्लेषण करना पड़ा। फिर हमें इसे पूरे देश में प्रसारित करना था ताकि उन लोगों का पता चल सके जो मरकज के दौरान वहां आए थे।'

जिलेवार सभी राज्यों को सौंपी गई लिस्ट
कोविड-19 के सामुदायिक प्रसार को रोकने के लिए इंटेलिजेंस एजेंसी ने उन लोगों की जिलेवार सूची वितरित की जो धार्मिक सभा के दौरान निजामुद्दीन में और उसके आसपास के इलाके में स्पॉट किए गए थे। इसके बाद 30 मार्च तक संबंधित जिलों के पुलिस अधिकारियों को हजारों नाम, मोबाइल नंबर और पते वाली सूचियां भेजी गई थीं।

झाझर रेंज, हरियाणा के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) अशोक कुमार ने बताया, 'हमें दिल्ली के उस क्षेत्र में गए लोगों के फोन नंबर और पतों का खुलासा करने वाला एक पत्र मिला है। हमने इन लोगों का पता लगाया है और स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक जांच करने के लिए सूचित किया है।' उन्होंने आगे कहा, 'अधिकांश लोग निजामुद्दीन के आसपास के क्षेत्रों में व्यापार से संबंधित कार्यों के लिए वहां गए थे। फिर भी हमने उनका परीक्षण किया है।'

बिल्कुल सटीक जानकारी मिली थी
उत्तर प्रदेश की बरेली रेंज के डीआईजी राजेश कुमार पांडे ने कहा, 'हमें भी मरकज के आसपास के क्षेत्र का दौरा करने वाले लोगों के बारे में सटीक जानकारी मिली थी। हमने बाद में इन लोगों का पता लगाया और उनके मेडिकल टेस्ट किए। इस पूरी कवायद ने वास्तव में देश को इस घातक वायरस के खतरे से निपटने में बहुत मदद की है अन्यथा इसका असर भयावह हो सकता था।'

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