पटना मेट्रो: मेट्रो का काम लेने को कॉरपोरेशनों में मची थी होड़

पटना
पटना मेट्रो प्रोजेक्ट का काम लेने के लिए देश के कई मेट्रो कॉरपोरेशन प्रयासरत थे। इनमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के अलावा महा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, नागपुर, लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) प्रमुख रूप से शामिल हैं।

डीएमआरसी और महा मेट्रो से जुड़े पदाधिकारियों ने तो यहां आकर प्रेजेंटेशन भी दिया था। डीएमआरसी के लिए भी शायद यह अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा। हालांकि पूरा काम उसे मिल जाने के बाद पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (पीएमआरसीएल) का कोई खास महत्व नहीं रह जाएगा।

दरअसल, देश की कोई भी मेट्रो सिर्फ किराए के बल पर संचालन और रखरखाव का खर्च पूरे नहीं कर पा रही है। ऐसे में तमाम मेट्रो को नॉन फेयर बाक्स रेवेन्यू मॉडल का रुख करना पड़ रहा है। कोच्चि के एक उदाहरण को छोड़ दें तो अधिकतर मेट्रो कॉरपोरेशनों ने अपने मूल प्रोजेक्ट के अलावा दूसरे प्रोजेक्टों का भी काम लेकर क्षमता वृद्धि के साथ आय के स्रोत विकसित किए। डीएमआरसी और एलएमआरसी इसके प्रमुख उदाहरण हैं। यूपी में लखनऊ मेट्रो चलाने के लिए गठित एलएमआरसी अब वहां आगरा और कानपुर मेट्रो के प्रोजेक्ट भी कर रही है।

वहीं, पटना मेट्रो का पूरा काम डीएमआरसी को मिलने के बाद पीएमआरसीएल के पास मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण के क्षेत्र में एक ईंट लगाने का भी अनुभव नहीं होगा। जानकारों का मानना है कि यदि बिहार में मेट्रो का विस्तार भी हुआ तो उसका काम भी पीएमआरसीएल की जगह किसी बाहरी कॉरपोरेशन को ही देना होगा। इन हालात में बहुत अधिक स्टाफ की जरूरत भी फिलहाल नहीं होगी।

डीएमआरसी ने पटना मेट्रो के निर्माण के लिए जो प्रस्ताव दिया है, उसमें प्रोजेक्ट की कुल लागत का छह प्रतिशत बतौर फीस वसूलने की बात है। इस लिहाज से देखें तो प्रोजेक्ट के निर्माण पर तकरीबन नौ हजार करोड़ खर्च होंगे। इसका छह प्रतिशत 540 करोड़ रुपए होगा। प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने पर यह धनराशि बढ़ जाएगी। तेरह हजार करोड़ से अधिक के इस प्रोजेक्ट में बाकी की धनराशि संचालन और रखरखाव के लिए रखी जाएगी।

 

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