नवरात्र के दूसरे दिन इस तरह करें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा, मां होंगी प्रसन्‍न

नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा की जानी चाहिए।नवदुर्गा में दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी का है इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया। छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चंद्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना शुभ फलदायी होता है।

सदाचार और संयम करती हैं प्रदान 
नवरात्र के दूसरे दिन यानी द्वितीया को मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्‍वरूप की पूजा की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्‍या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। यानी तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी देवी। मां के दाएं हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल शोभायमान है। मां दुर्गा के इस स्‍वरूप की उपासना करने से मनुष्‍य को भक्ति और सिद्धि दोनों की प्राप्ति होती है। देवी प्रसन्‍न होकर अपने भक्‍तों को तप, त्‍याग, वैराग्‍य, सदाचार और संयम प्रदान करती हैं।

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