दिग्विजय, कमलनाथ और सिंधिया के लिए चुनौती बना ये लोकसभा चुनाव

भोपाल 
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत सभी बड़े नेताओं को अपनी सीट जीतने के साथ ही प्रभाव वाली सीटों पर भी दम दिखाना होगा। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के जैसा प्रदर्शन करना चाहती है। इसके लिए पूरी रणनीति के साथ काम किया जा रहा है। प्रदेश के दिग्गज नेताओं को अपनी संसदीय सीट के साथ ही प्रभाव की सीट पर भी जीत दिलाने का जिम्मा दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पार्टी ने भोपाल से मैदान में उतारा है। माना जा रहा है कि दिग्विजय भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब होंगे। दिग्विजय का प्रभाव क्षेत्र राजगढ़ है। हालांकि कांग्रेस ने वहां उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, दिग्विजय को राजगढ़ को जिताने की भी जिम्मेदारी दे दी गई है।

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास तिहरी जिम्मेदारी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान दी है। यानी इन्हें उत्तरप्रदेश में भी कांग्रेस की सीटों में इजाफा करने की चुनौती है। मध्यप्रदेश में अपनी सीट पर चुनाव जीतने के साथ अपने प्रभाव वाली सीटों पर भी कांग्रेस उम्मीदवार को जिताना है। इसमें गुना के साथ ग्वालियर और भिंड, मुरैना लोकसभा सीट प्रमुख है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ की परंपरागत छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से इस बार उनके पुत्र नकुलनाथ उम्मीदवार हैं। कमलनाथ यहां से 9 बार सांसद रहे हैं। अब कमलनाथ यहां से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। उनका प्रभाव महाकौशल में माना जाना था, लेकिन अब मुख्यमंत्री के नाते उनकी जिम्मेदारी पूरे प्रदेश की है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अरुण यादव का प्रभाव क्षेत्र मालवा निमाड़ माना जाता है। अरुण खंडवा से मैदान में हैं। उन्हें मालवा-निमाड़ में परचम लहराना होगा। नेता-प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह विस चुनाव में हार गए थे। कांग्रेस ने उन्हें अब सीधी से टिकट दिया है। उन्हें स्वयं की जीत के साथ सतना, शहडोल व रीवा में कांग्रेस को जिताना होगा।

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