तबलीगी ही नहीं जांच के दायरे में वो भी, जो निज़ामुद्दीन के आस-पास गया

रायपुर
दीपक यादव छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुम्हारी में रहते हैं. पिछले 31 मार्च से मोबाइल फोन से उनका हालचाल पूछने वालों की संख्या अचानक बढ़ गई, जिनमें कई अंजान लोग भी हैं. कोविड-19 के संक्रमित संदिग्धों में शामिल दीपक का दावा है कि उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है. अंबिकापुर के रहने वाले उपभोक्ता अधिकार संगठन के प्रदेश प्रवक्ता उमेश पांडेय का भी स्वास्थ्य हाल पूछने वालों की संख्या अचानक बढ़ गई है. हालांकि उनका दावा है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उनका ब्लड सैंपल नहीं लिया है. क्योंकि उनमें कोविड-19 के संक्रमण का कोई लक्षण नहीं था. दरअसल ये वे लोग हैं, ​जिनका नाम छत्तीसगढ़ सरकार को भेजी गई 159 नामों की उस सूची में शामिल है, जिनका मोबाइल फोन 13 से 16 मार्च के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन में उस मरकज के आस पास एक्टिव था, जो कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बड़ी संख्या मिलने के बाद देशभर में चर्चा में है.

राज्य सरकार को मिली 159 नामों की सूची में शामिल नारायणपुर के मो. फारूख खान का दावा है कि वे 15 से 20 मार्च तक दिल्ली में जरूर थे, लेकिन उस तबलीगी जमात में शामिल नहीं हुए. क्योंकि उनका तब्लीगी जमात से कोई संबंध नहीं हैं. वे जम्मू में अपनी बहन के ससुराल जाने के लिए निकले थे, लेकिन रास्ता बंद होने के कारण वे 20 मार्च तक दिल्ली में रूके और फिर 21 मार्च को वापस रायपुर फ्लाइट से लौट आए. उन्होंने खुद अपनी ट्रैवेल हिस्ट्री प्रशासन को दी.

सूची में ही शामिल महासमुंद जिले के रहने वाले सलीम खान का कहना है कि वे अपने परिवार के 7 सदस्यों के साथ 15 मार्च को दिल्ली गए और निजामुद्दीन में मजार पर दर्शन के बाद अजमेर चले गए और वहां से वापस घर लौट आए. इन्होंने भी दावा किया है उनका तबलीगी जमात व मरकज से कोई संबंध नहीं है, वे उस समूह से आते हैं, जो इसे नहीं मानता. हालांकि वे परिवार सहित आइसोलेशन में हैं. सूची में शामिल दुर्ग के केलाबाड़ी के रहने वाले सरफराज अहमद ने भी दावा किया है कि वे अपने 18 जान—पहचान वालों के साथ निजामुद्दीन गए थे, लेकिन मरकज व तबलीगी जमात से उनके समाज का कोई संबंध नहीं है. सरफराज ने दावा किया है कि इस मरकज और इस जमात की उन्हें जानकारी तक नहीं है.

निजामुद्दनी के मरकज में तबलीगी जमात की चर्चा देशभर में होने के दौरान ही राज्य सरकार को 159 नामों की सूची दिल्ली से मिली. इसके बाद चर्चा होने लगी कि ये वे लोग हैं, ​जो मरकज में शामिल होने छत्तीसगढ़ से दिल्ली गए थे. जबकि सूची में शामिल 106 लोग गैर मुस्लिम हैं. बाकि मुस्लिमों में भी कई ऐसे लोग हैं, जो सिया हैं. इसके अलावा सुन्नी मुस्लिमों में भी शामिल कइयों ने दावा किया कि उनका मरकज व तबलीगी जमात से कोई संबंध नहीं है. सूची में शामिल दीपक यादव ने बताया कि वे अपने व्यापार के सिलसिले में दिल्ली गए थे. उमेश पांडेय का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने ट्रेन से निजामुद्दीन फिर वहां से दिल्ली गए थे. उमेश पांडेय को अचरज है कि उनके साथ अंबिकापुर से 4 और पूरे छत्तीसगढ़ से 7 और लोग थे, लेकिन सूची में सिर्फ उन्हीं का नाम शामिल क्यों है?

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए राज्य नोडल अधिकारी (होम क्वारंटाइन और मीडिया प्रभारी) डॉ. अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि '159 लोगों की सूची में उन लोगों का नाम है, जिनका मोबाइल लोकेशन तबलीगी जमात के दौरान मरकज के आस पास था. इसका कतई ये मतलब नहीं हैं कि वे भी जमात का हिस्सा थे, लेकिन सूची मिलने के बाद ऐतिहात के तौर पर इनकी व इनसे संपर्क में आए लोगों की जांच की गई है. इनकी सेहत के आधार पर इन्हें आइसोलेट व क्वारंटाइन किया गया है.'

31 मार्च की शाम को राज्य सरकार के जन सम्पर्क विभाग द्वारा आधिकारिक तौर तबलीगी जमात में शामिल लोगों को लेकर बयान जारी किया गया. इसमें बताया गया कि नई दिल्ली में तबलीगी जमात के मरकज में शामिल सदस्यों में कोरोना वायरस पॉजीटिव केस पाये जाने और कुछ की मृत्यु हो जाने के बाद राज्य सरकार पूरी सतर्कता बरत रही है. मरकज में छत्तीसगढ़ के 101 लोग शामिल हुए थे. इन सभी की पहचान कर राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा दल से इनका परीक्षण कराया गया है. छत्तीसगढ़ में तबलीगी जमात के 32 सदस्यों को क्वारंटाइन और 69 सदस्यों को आइसोलेशन में रखा गया है. इस बयान के बाद सीएम भूपेश बघेल ने इसको ट्वीट भी किया. हालांकि सरकार द्वारा इनके नामों की सूची जारी नहीं की गई.

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