तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों ने नहीं करवाया दस्तावेजों का सत्यापन, प्रवेश निरस्त

भोपाल
तकनीकी शिक्षा विभाग प्रदेश के कालेजों में प्रवेश लेने वाले 2200 विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करेगा। डीटीई ने विद्यार्थियों को सीएलसी के माध्यम से प्रवेश लेने के बाद अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराने का मौका दिया था, लेकिन विद्यार्थी तय समय सीमा में प्रवेश सत्यापित कराने हेल्प सेंटरों तक नहीं पहुंचे। इसलिए उनके प्रवेश निरस्त किए जाएंगे।

डीटीई ने अपने प्रदेशभर इंजीनियरिंग, फार्मेसी, एमबीए, एमसीए, पालीटेक्निक व कालेजों के 21 कोर्स की करीब डेढ लाख सीटों पर एक लाख 500 विद्यार्थियों को प्रवेश दिए हैं। इसमें करीब 12 हजार विद्यार्थियों को प्रवेश कालेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) में दिए हैं। सीएलसी से प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराने के लिए डीटीई से 31 अगस्त तक का दिया था। इसमें से करीब 2200 विद्यार्थी अपने दस्तावेज लेकर डीटीई द्वारा तय किए गए हेल्प सेंटरों पर नहीं पहुंचे। इसलिए डीटीई अब उनके प्रवेश निरस्त करेगा। 21 कोर्स में प्रवेश लेने वाले 99 हजार विद्यार्थियों को डाटा राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के साथ संबंधित विश्वविद्यालयों को भेजा जाएगा, ताकि प्रवेशित विद्यार्थियों का नामांकन किया जा सके। ये डाटा करीब सप्ताह में विश्वविद्यालयों तक भेज दिया जाएगा।

डीटीई की काउंसलिंग में सबसे ज्यादा प्रवेश 31 हजार 800 प्रवेश इंजीनियरिंग, बीस हजार 836 प्रवेश एमबीए में हुए हैं। वहीं तीसरे स्थान पर 17 हजार 44 के साथ तीसरे नंबर पर रहा है, लेकिन फार्मेसी में 12 हजार 611 प्रवेश होने पर औसतन सबसे अच्छी स्थिति रही है। वहीं डीटीई सामने ऐसे आंकड़ें भी आई हैं। जहां विद्यार्थियों ने इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए में दाखिले लिए हैं। जबकि अधिकतर विद्यार्थियों ने एमटेक में प्रवेश लिए हैं।

डीटीई ने प्रवेश में कोई फर्जीवाड़ा नहीं हो सके, जिसके लिए हेल्प सेंटर और कालेजों में कड़ा शिकंजा कसा गया। जबकि आधार की अनिवार्यता खत्म होने के बाद विभाग ने सीसीटीवी पर फोकस किया। इसमें फर्जीवाड़ा करने वाले प्रोफेसरों पर शिकायत मिलने पर एक्शन लिया गया है। पिछली बार करीब 300 विद्यार्थियों के दो-दो कालेजों में प्रवेश लिया गया था। विभाग ने उक्त लापरवाही को देखते हुए सीएलसी पर सख्ती कर दी।

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