झूठ के चीथड़ो को सिलकर भाजपा गमछा नहीं बना सकती

रायपुर
देश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ती संख्या पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के निर्णयों ने साबित कर दिया है कि वह कोरोना आपदा से लड?े में सक्षम नहीं है। केंद्र के गलत फैसलों की वजह से करोड़ों मजदूरों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया और वे पैदल चलकर घर लौटने को बाध्य हुए।

गलत समय पर लॉकडाउन करने जैसे केन्द्र सरकार के गलत फैसलों की वजह से कुछ मजदूर भाई हाटस्पाट जोनों में दो माह रहकर संक्रमित होने को मजबूर हुए और अब वे अपने गृहराज्य छत्तीसगढ़ में लौटकर कोरोना से जूझ रहे हैं। केंद्र की विफलता को छिपाने के लिए केंद्र के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता षडयंत्रपूर्वक राज्यों का दोष निकालने में लगे हुए हैं। अब भाजपा नरेंद्र मोदी की विफलता का ठीकरा राज्यों के सिर फोड?े की रणनीति पर काम कर रही है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाली, ताली, घंटा बजवाने, अंधेरा करवा के मोमबत्ती टॉर्च जलवाने और फूल बरसाने के अलावा कोरोना से लड?े के लिये कोई ठोस और कुसंगत कदम नहीं उठाए। कोरोना से निपटने के लिए मोदी जी ने पीएम-केयर्स नाम का नया कोष बनाया और देश के सभी बड़े उद्योगों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भारी भरकम दान देने के लिए बाध्य किया। अब मोदी देशवासियों को बता भी नहीं रहे हैं कि इस कोष में कितना पैसा आया, कितना खर्च हो रहा है और कहां खर्च हो रहा है। जिस समय देश संकट के दौर से गुज? रहा है। भाजपा सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री चुनावी रैलियां करने और विधायक ख?ीदने में व्यस्त है।
त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के द्वारा शुरू से बरती गई एहतियात और छत्तीसगढ़ के लोगों की जागरूकता के परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ में करोना के मामले शुरू से बेहद कम रहें। कटघोरा में संक्रमण फैला तो उसे नियंत्रण में लाने में छत्तीसगढ़ सरकार को सफलता मिली। छत्तीसगढ़ के जो मजदूर कमाने खाने के लिए बाहर गए थे वे लॉकडाउन में 60 दिन तक फंसे रहे और वापस लौट रहे हैं। लाकडाउन में छत्तीसगढ़ के मजदूरों को गुजरात, मुंबई, सहित अनेक कोरोना संक्रमण के हाटस्पाट में फंसे रहना पड़ा। छत्तीसगढ़ में करोना के प्रकरणों में वृद्धि शुरू हुई है। हालांकि छत्तीसगढ़ में वृद्धि देश के अन्य प्रदेशों की तरह नहीं है लेकिन केस बढ़ रहे है।

उन्होंने कहा है कि कोरोना के लिये प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के 20 लाख करोड़ के पैकेज में छत्तीसगढ़ को कुछ भी नहीं मिला। छत्तीसगढ को़ कोई मदद नहीं मिल पाई। पहले केन्द्र सरकार ने धान की कटाई समाप्त होने के बाद मनरेगा के काम खोलने के लिये पर्याप्त राशि नहीं दी। छत्तीसगढ़ के मजदूरों को मनरेगा का पैसा ना देकर पलायन करने के लिए कमाने खाने के लिए देश के दूसरे प्रदेशों में जाने के लिए मजबूर किया गया। यदि अपने प्रदेश में अपने घर गांव में काम मिलता तो यह मजदूर बाहर के प्रदेशों में क्यों जाते? लॉकडाउन में प्रदेश के बाहर कमाने खाने गययह मजदूर भूखे प्यासे रहे। अपनी रोजी-रोटी गंवाई। कर्ज लेकर किसी तरीके से गुजारा किया। लखनऊ से छत्तीसगढ़ के बेमेतरा के साहू मजदूर की साइकिल से छत्तीसगढ़ के लिए निकलने पर हाईवे में पति पत्नी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई और उनके बच्चे बेसहारा हो गए। इन मजदूरों की जमा पूंजी खत्म हो गई। इन मजदूरों को अपने ही प्रदेश लौटने के लिए छत्तीसगढ़ के बॉर्डर तक छोड?े के लिए बस वालों ने 5000 से 10000 रू. प्रति हेड किराया लिया। छत्तीसगढ़ वापस लौटे लाखों मजदूरों में सैकड़ों मजदूर करोना संक्रमण का शिकार हुए। इसकी नैतिक जिम्मेदारी भाजपा की केन्द्र सरकार कह है।

केंद्र सरकार लगातार छत्तीसगढ़ के लोगों के हितों के खिलाफ कोरोना संक्रमण के मामले में लिये गये फैसलों की ही तरह से इसी तरीके के फैसले लेती है। 2500 रू. धान का दाम किसानों को देने पर सेंट्रल पूल में छत्तीसगढ़ का चावल नहीं लेने का फैसला भी ऐसा ही फैसला था। छत्तीसगढ़ की जमीन में बने एफसीआई के गोदामों में छत्तीसगढ़ के चावल को रखने से इंकार कर भाजपा की केंद्र सरकार ने पहले भी अपने छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र धान विरोधी किसान विरोधी चरित्र को उजागर किया था। यह वही छत्तीसगढ़ है जिसने अकाल दुकान के समय में चावल दे देकर पूरे देश का पेट भरने का काम किया था।

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