झारखंड राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस ने बढ़ाई बीजेपी की बेचैनी, पुराने दोस्त पर नजर

रांची

झारखंड की दो राज्यसभा सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव के बाद अब राज्यसभा चुनाव में एक बार फिर महागठबंधन और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. झारखंड कोटे से राज्यसभा की दोनों सीटों को जीतने की जुगत में है तो बीजेपी अपने पुराने सहयोगी आजसू के सहारे एक सीट कब्जाना चाहती है.

राज्यसभा में झारखंड कोटे की दो सीटों में से झारखंड मुक्ति मोर्चा की एक सीट पक्की है. ऐसे में दूसरी सीट पर कांग्रेस या फिर महागठबंधन अपना कैंडिडेट उतारती है तो फिर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच रोचक मुकाबला हो जाएगा. महागठबंधन के पास दूसरी सीट और बीजेपी के पास अपनी एक सीट के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं. ऐसे में दोनों के बीच विधायकों के जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है.

महागठबंधन की ओर से जेएमएम ने शिबू सोरेन के रूप में अपना पहला उम्मीदवार घोषित कर दिया है, जिनका जीतना तय है. वहीं, दूसरा उम्मीदवार जो कि कांग्रेस से होगा, उसकी राह कुछ आसान नहीं है. कांग्रेस के पास जरूरत के हिसाब से विधायकों की संख्या नहीं है. हालांकि, कांग्रेस ने अब तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है. ऐसा ही संकट बीजेपी के सामने भी है, जो अपने पुराने सहयोगी के समर्थन की आस लगाए हुए है.

झारखंड विधानसभा में कुल 81 सदस्यों में से फिलहाल 80 सदस्य हैं. राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 27 वोट चाहिए. मौजूदा विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से जेएमएम के पास 29 सीटें हैं तो कांग्रेस के 16 और जेवीएम छोड़कर आए 2 विधायकों को मिलकर यह संख्या 18 हो गई है. इसके अलावा आरजेडी के 1, एनसीपी के 1, माले के 1 और 2 विधायक निर्दलीय हैं. वहीं, बाबूलाल मरांडी के आने के बाद बीजेपी का आंकड़ा 26 पहुंच गया है और दो विधायक आजसू के हैं.

झारखंड में राज्यसभा चुनाव का इतिहास अक्सर चमत्कारी परिणाम देता रहा है. ऐसे में कांग्रेस अगर अपना प्रत्याशी उतारती है तो फिर मुकाबला काफी दिलचस्प हो जाएगा. झारखंड कोटे से राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी को दूसरे दलों के विधायकों के सहयोग की जरूरत होगी. आजसू ने मौके की नजाकत को भांपते हुए तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. आजसू ने कहा है कि पार्टी की संसदीय समिति में राज्यसभा चुनाव में समर्थन देने का निर्णय लेगी.

हालांकि, बीजेपी को महज एक विधायक के समर्थन की दरकार है, लेकिन कांग्रेस के सामने 6 विधायकों का समर्थन जुटाने की चुनौती है. कांग्रेस के माले और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में रखने में कामयाब रहती है तो बीजेपी को जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. राज्यसभा के लिए सबसे अहम भूमिका अब आजसू और निर्दलीय विधायकों पर है. देखना होगा कि इस शह-मात के खेल में कौन बाजी मारता है.

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