जेटली का पलटवार, बोले- दलाली करने वाली कंपनी में हिस्सेदार रहे राहुल गांधी

नई दिल्ली

रक्षा सौदों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर लग रहे आरोपों के बाद बीजेपी हमलावर है. पहले अमित शाह, फिर पीएम मोदी और उसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी राहुल गांधी पर हमला बोला है. शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पहले भी इस तरह के आरोप लगे लेकिन कांग्रेस ने आरोपों का जवाब नहीं दिया. चुप रहने का अधिकार किसी क्रिमिनल केस में मुलजिम को होता है, राजनीतिक नेताओं को ये अधिकार उपलब्ध नहीं है.

अरुण जेटली ने कहा कि 28 मई 2002 को भारत में एक कंपनी बनती है बैकऑप्स प्राइवेट लिमिटेड. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इसके डायरेक्टर बनते हैं. 21 अगस्त 2003 में ब्रिटेन में भी इसी नाम से एक कंपनी बनती है. उसके डायरेक्टर राहुल गांधी और एक अमेरिकी नागरिक बनते हैं. इसमें 65 फीसदी शेयर राहुल गांधी और 35 फीसदी शेयर अमेरिकी नागरिक के हैं.

वित्त मंत्री अरुण जेटली का आरोप है कि इस कंपनी के कोई मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट नहीं है. ये एक तरह से लाइजनिंग करने वाली कंपनी है. यानी हम प्रभाव से आपका काम कराएंगे और बदले में पैसा लेंगे. ये इसका उद्देश्य था. इसमें अमेरिकी नागरिक, राहुल गांधी के सोशल गैंग के सदस्य हैं और गोवा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के दामाद हैं.

अरुण जेटली के मुताबिक, भारतीय कंपनी में एक पूर्व विंग कमांडर मट्टू थे. लंदन में कंपनी के दोनों डायरेक्टर का एड्रेस एक था. 2003 में यह घर था. इस घर के मालिक अजिताभ बच्चन और उनकी पत्नी रोमाला बच्चे थे. 2009 में राहुल गांधी इस ब्रिटिश कंपनी से बाहर निकल जाते हैं. 2010 में भारतीय कंपनी ने अपना काम समेट लिया. इस बीच में अमेरिकी नागरिक अपना काम अन्य कंपनियों के नाम पर करते रहते हैं.

जेटली से पहले पीएम मोदी ने रक्षा सौदों को लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा था. पीएम मोदी ने कहा था, 'आपके पिताजी को आपके राज दरबारियों ने 'मिस्टर क्लीन' बना दिया था, लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया. नामदार यह अहंकार आपको खा जाएगा. ये देश गलतियां माफ करता है, मगर धोखेबाजी को कभी माफ नहीं करता.'

इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल पर तंज कसते हुए ट्विटर पर लिखा, 'राहुल गांधी के 'मिडास टच' के साथ कोई भी सौदा बहुत ज्यादा नहीं है. जब वह सत्ता में थे, उनके कारोबारी साझेदार फायदा उठा रहे थे. इससे फर्क नहीं पड़ता कि भारत को इसका परिणाम भुगतना पड़े.'

इसका जवाब देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है. मैं जांच के लिए तैयार हूं. राफेल डील की भी जांच होनी चाहिए.

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