जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की अर्थव्यवस्था को मिल सकती है रफ्तार

हिटी 
जम्मू-कश्मीर को अब दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटा जाएगा। पहले गैरविभाजित जम्मू-कश्मीर के राजस्व का अधिकतर हिस्सा पर्यटन और केसर, मेवा, ऊन, सेब, हथकरघा के व्यापार से आता था। मगर यहां विमानन, रेलवे, बिजली और बागवानी में निवेश के भी जबरदस्त अवसर हो सकते हैं। अब कई मायनों में दोनों केंद्रशासित प्रदेशों को लंबा सफर तय करना होगा। आइए देखते हैं कि अर्थव्यस्था की दृष्टि से यहां की फिलहाल क्या स्थिति है – 

शिक्षा : महज 13% युवा ही स्नातक
जम्मू-कश्मीर में 20 से 24 साल के 31.70 लाख युवाओं में 26% ही शिक्षित हैं। करीब 13% स्नातक और डिप्लोमा धारक हैं।

शिक्षा                   युवा (%)
प्राथमिक शिक्षा :    7.9
मिडिल स्कूल :       17.9
दसवीं :                 17.1
बारहवीं :                15.2
स्नातक :               12.1
डिप्लोमा :              1
अन्य :                  2.6
(स्रोत : जनगणना-2011, संकलन : हाउइंडियालिव्स डॉट कॉम)

– 80 हजार प्राथमिक और मिडिल स्कूल के बच्चों को फर्श पर बैठकर पढ़ना पड़ता है

– 25% से भी कम छात्र स्कूल से निकलकर कॉलेज में प्रवेश ले पाते हैं, प्रदेश के 2019-20 के बजट दस्तावेज के अनुसार 

 उच्च शिक्षा : इंजीनियरिंग की चार हजार सीट

हाल ही में मेडिकल सीटों की संख्या 500 से 900 की गई है। इससे राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज चार से आठ हो गए। जम्मू और कश्मीर में एम्स के दो कैंपस का निर्माण चल रहा है।

– 4 हजार सीट इंजीनियरिंग की हैं पूरे प्रदेश में

– 240 सीट जम्मू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में

 कृषि : फल और मेवा का बड़ा उत्पादक राज्य 

मोटे तौर पर राज्य को तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है- कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख। आतंकवाद के कारण तीन दशक से यहां कंपनियां बड़ा निवेश करने से बचती रही हैं। छोटे-मोटे कारखाने या जैम, सॉस, मसाले, पेस्ट जैसे कृषि आधारित छोटे उद्योग जरूर हैं। ठंडे मौसम के कारण यहां सेब, नाशपाती, खुबानी, संतरे जैसे फल खूब होते हैं। इसके अलावा अखरोट और बादाम जैसे मेवा का भी यह बड़ा उत्पादक राज्य है।

उद्योग : क्रिकेट बैट, सूती धागा, मसाले

कश्मीर को क्रिकेट बैट के लिए भी जाना जाता है। एसजी, एसएस जैसे बड़े ब्रांड यहां की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले फल, मेवा और मसाले होने के कारण यहां डाबर इंडिया जैसी कंपनी हेल्थ और पर्सनल केयर से जुड़े सामान बनाती है। सूती धागा, फाइबर धागा और घरेलू फर्नीचर के छोटे-छोटे कारखाने भी कश्मीर घाटी की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं।

 न्यूनतम मजदूरी : सबसे कम देने वाले राज्यों में

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, देश में सबसे कम न्यूनतम मजदूरी देने वाले राज्यों में से एक जम्मू-कश्मीर है।
अकुशल कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी (रुपये/दिन में)
दिल्ली  : 538
कर्नाटक : 411
हरियाणा : 340
पंजाब : 311
गुजरात : 304
सिक्किम : 300
बिहार : 268
मध्य प्रदेश : 235
जम्मू-कश्मीर : 225
तमिलनाडु : 132
-राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी : 176 रुपये/दिन

पर्यटन : घूमने वाले कम, श्रद्धालु ज्यादा

राज्य में पर्यटन पर एक नजर डालते हैं
73 लाख पर्यटक 2017 में जम्मू-कश्मीर गए थे
57.3 लाख (करीब 80%) इनमें से वैष्णो देवी गए
2.60 लाख श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा का हिस्सा थे
यानी असल में देखें तो महज 13 लाख पर्यटक ही घूमने के लिए आए।

सरकार ने ये कदम उठाए

पिछले साल दिसंबर में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में गृह मंत्रालय ने पांच नए मार्ग बनाए और चार नए मार्ग ट्रैकिंग के लिए बनाए। ताकि लेह तक पर्यटकों का सफर आसान बने। लद्दाख में पर्यटकों के परमिट की अवधि सात से बढ़ाकर 15 दिन की गई है। 
 

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