छत्तीसगढ़ का नागलोक कहा जाता है ये जिला, सालों से लंबित है Snake Park बनाने की मांग

जशपुर
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में प्रदेश में अन्य जिलों की तुलना में सबसे ज्यादा सांप पाए जाते हैं. सर्पदंश से मौत के आंकड़ों में भी जशपुर प्रदेश में अव्वल है. जिले में विभिन्न प्रकार के सांपों के बहुतायत संख्या में पाए जाने के कारण जशपुर को नागलोक के नाम से भी जाना जाता है. जशपुर में सालों से स्नेक पार्क बनाये जाने की मांग है, जो आज तक लंबित है.

सांपों के मामले में जानकारी कैसर हुसैन कहते हैं कि जशपुर में कुल 26 प्रकार के सांपों की प्रजाति पाई जाती है. इनमेे से सिर्फ छह प्रजाति ही जहरीली है बाकी 20 प्रकार की सांपों की प्रजातियों में जहर नहीं होता. जिले में बारिश और गर्मी के मौसम में सांपों का खासा असर होता है. इस मौसम में सांप बिलों से बाहर आ जाते हैं. जिले में सांपों की अधिकता होने की वजह से सर्पदंश से मौत के मामले भी ज्यादा हैं.

सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें जमीन पर सोने और खुले में सोने की वजह से होती है. सर्पदंश से मौत के आंकड़े कम करने के लिए प्रशासन और एनजीओ मिलकर प्रयास कर रहे हैं।इसके लिए गाँव गांव में जाकर जमीन पर ना सोने और मच्छरदानी लगाकर सोने की अपील की जाती है. जशपुर में पिछड़े कई सालों से तपकरा में स्नैक पार्क बनाने की मांग लंबित है, लेकिन आज तक ये योजना अधर में है।स्नैक पार्क बनने के बाद एंटी स्नैक वेनम बनाने और लोगों को सर्पदंश से मौत के मामलों में जनजागरुकता अभियान चलाने में मदद मिलेगी.

स्थानीय निवासी रामप्रकाश पांडेय व गोपाल कश्यप का कहना है कि जिले में सर्पदंश से लोगों को बचाने के साथ सांपो को भी संरक्षित करने के लिए युवाओं का एक दल पिछले कई सालों से काम कर रहा है. ग्रीन नेचर वेलफेयर सोसायटी के सदस्य पिछले कई सालों से घरों में सांपों के निकलने की सूचना पर वहां पहुंचकर घरों से निकालकर सांपों को सुरक्षित जंगलों में छोड़ने का काम कर रहे हैं. जिले में सर्पदंश से मौत का मुख्य कारण झाड़-फूंक भी माना जाता है. ग्रामीण क्षेत्रो में सर्पदंश के बाद पीड़ित को अस्पताल न ले जाकर झाड़फूंक कराई जाती है.

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