चुनाव में जनता ने परिवारवाद को नहीं सिर्फ विपक्षी वंशवाद को नकारा

 
नई दिल्ली 

इस लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति में परिवारवाद या वंशवाद को लेकर कांग्रेस पर खूब हमला बोला. चुनाव परिणाम के आधार पर आप कह सकते हैं कि इस बार परिवारवाद की हार हुई है क्योंकि परिवारवादी राजनीति से निकले कई दिग्गज चुनाव हार गए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी हार गए, ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से हार गए. लेकिन क्या वास्तव में परिवारवादी राजनीति को जनता ने नकार दिया है? पड़ताल में पाया कि 50 नेता ऐसे हैं जो ताकतवर राजनीतिक परिवारों से आते हैं. इनमें जितने चुनाव हारे हैं, वे ज्यादातर विपक्षी पार्टियों से थे.

अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डाला के सह-निदेशक गिल्स वर्नियर के मुताबिक, लोकसभा में परिवार से आए नेताओं की संख्या 30 फीसदी है.  
हालांकि, हमने अपने विश्लेषण में सिर्फ ऐसे परिवारवादी नेताओं को लिया है जो सबसे ताकतवर परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जिनके परिवार में कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री जैसे पदों पर रहा है.

 वंश परंपरा से आए 51 में से 23 जीते
जिन 51 परिवारवादी नेताओं की हमने पहचान की है, उनमें से 23 इस बार चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या उनकी है जो बीजेपी से संसद पहुंचे हैं. वंश परंपरा से आए इन विजेताओं की जीत के अंतर की बात करें तो इन सभी की जीत औसतन 202,373 वोटों से हुई है. लेकिन जो हारे हैं उनकी हार औसतन 140,686 वोटों से हुई है. इसका मतलब परिवारवादी नेताओं की हार के मुकाबले जीत का अंतर काफी ज्यादा है.

सबसे ज्यादा परिवारवादी भाजपा से जीते
इस चुनाव में परिवारवाद के जरिये संसद पहुंचने वाले सबसे ज्यादा नेता बीजेपी के हैं, जिनकी संख्या 8 है. इसके बाद कांग्रेस से ऐसे नेताओं की संख्या 5 है. दो नेता शिरोमणि अकाली दल से, दो समाजवादी पार्टी से, एक तृणमूल कांग्रेस से, एक डीएमके से, एक नेशनल कॉन्फ्रेंस से और एक-एक नेता जेडीएस, एनसीपी और एलजेपी से हैं. बीजेपी के परिवारवादियों की जीत का अंतर भी काफी ज्यादा है.

इसके 8 विजेताओं में से 7 ऐसे हैं जो एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं. सबसे ज्यादा अंतर से राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालवाड़ से 4,53,928 वोटों से जीते हैं. इसके बाद राहुल गांधी 4,31,770 वोट से वायनाड सीट से जीते हैं. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी रायबरेली से 1,67,178 वोटों से जीती हैं.

हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग सिंह ठाकुर हमीरपुर से 3,99,572 वोटों से जीते हैं. वंश परंपरा से आए नेताओं में इंदिरा गांधी की बहू मेनका गांधी बीजेपी के टिकट पर सबसे कम अंतर से जीती हैं. उन्होंने यूपी की सुल्तानपुर सीट पर बसपा के चंद्रभद्र सिंह को 14,526 वोटों से हराया है.

इस कैटेगरी में वे बीजेपी की अकेली नेता हैं जिनकी जीत एक लाख से कम वोटों से हुई है. मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी पीलीभीत सीट 2,55,627 वोटों से जीते हैं.कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र राज्य की शिमोगा सीट 2,23,360 वोटों से जीत गए हैं. महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री व भाजपा नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन मुंबई नॉर्थ सेंट्रल और उनकी भतीजी प्रीतम मुंडे बीड लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंची हैं. ये दोनों ही बीजेपी में हैं.

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