चीन को घेरने भारत ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल करेंगे
नई दिल्ली/केनबरा
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्र्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने आज अपनी पहली वर्चुअल शिखर बैठक में चीन को सख्त संदेश दिया। दोनों देशों ने इशारों ही इशारों में चीन से दूसरे देशों की संप्रभुता का पालन करने के लिए कहा। साथ ही भारत और ऑस्ट्रेलिया ने समुद्र में नियमों पर आधारित व्यवस्था को समर्थन देने का ऐलान किया। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को नाकाम करने के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया ने एक-दूसरे के सैन्य अड्डों के इस्तेमाल का एक बेहद समझौता भी किया।
इस सैन्य समझौते के बाद अब भारत और ऑस्ट्रेलिया के जंगी जहाज और फाइटर जेट एक-दूसरे के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही ये जहाज जरूरत पड़ने पर ईंधन ले सकेंगे। माना जा रहा है कि हिंद महासागर में चीन के बहुत तेजी से बढ़ते कदमों को रोकने के लिए दोनों ही देश एक साथ आए हैं। भारत ने इसी तरह का एक समझौता अमेरिका के साथ किया हुआ है।
ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच गहराया विवाद
हालांकि चीन भले ही ऑस्ट्रेलिया के निर्यात का सबसे बड़ा खरीदार हो लेकिन दोनों ही देशों के बीच इन दिनों तलवारें खीचीं हुई हैं। आलम यह रहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक के दौरान यूरोपीय यूनियन के प्रस्ताव का समर्थन देना चीन को इतना नागवार गुजरा कि उसने ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका का 'कुत्ता' करार दे दिया। इतना ही नहीं चीन ने ऑस्ट्रेलियाई जौ पर करीब 80 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का ऐलान भी कर दिया है। इससे पहले चीन ने ऑस्ट्रेलिया के चार बूचड़खानों से बीफ के आयात पर लेबलिंग के मुद्दे पर प्रतिबंध लगा दिया था।
वर्चुअल शिखर बैठक के दौरान पीएम मोदी ने चीन को लक्ष्य करके कहा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने संबधों को व्यापक तौर पर और तेज़ गति से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह न सिर्फ़ हमारे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि Indo-Pacific क्षेत्र और विश्व के लिए भी आवश्यक है। पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए समझौतों को सहयोग और बिजनस का एक नया मॉडल बताया। पीएम मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को बेहतर बनाने का यह सबसे अच्छा समय और मौका है।