भारत की खरी-खरी,गलवान में जो हुआ चीन की पूर्वनियोजित साजिश

नई दिल्ली
चीन की विदेश नीति में धोखेबाजी और धूर्तपने का कितना अहम किरदार है, यह एक बार फिर से दिख रहा है। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमले के बाद अब चीन के विदेश मंत्री वांग यी आगे का रास्ता बातचीत के जरिए निकालने पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया कि भारत इसे स्थानीय स्तर पर अचानक पैदा हुई परिस्थिति नहीं मानता है, बल्कि इसके पीछे चीन की सोची-समझी साजिश साफ झलक रही है।

भारत की दो टूक- चीन ने पूर्वनियोजित रणनीति से किया हमला
जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से स्पष्ट कहा, 'गलवान में जो कुछ भी हुआ, उसे चीन ने काफी सोची-समझी और पूर्वनियोजित रणनीति के तहत अंजाम दिया है। इसलिए, भविष्य की घटनाओं की जिम्मेदारी उसी पर होगी।' दरअसल, शांति की बात कर हिंसा का रास्ता अख्तियार करने वाला चीन गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला करने के बाद आगे का रास्ता बातचीत के जरिए निकालने की सलाह दे रहा है।

चीन की चाल: उकसावे के बाद शांति की अपील
आज दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की हुई बातचीत में चीन ने बातचीत के मौजूदा तंत्रों के इस्तेमाल पर जोर दिया और कहा कि मतभेदों को बातचीत के जरिए ही हल करना चाहिए। पूर्वी लद्दाख के पैट्रोलिंग पॉइंट- 14 पर हुए खूनी झड़प के दो दिन बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई। इस बातचीत में वांग ने इस बात पर जोर दिया कि मतभेदों से उबरने के लिए दोनों पक्षों को मौजूदा तंत्रों के जरिए बातचीत और समन्वय का रास्ता और दुरुस्त करना चाहिए।

चीनी सैनिकों ने धोखे से किया वार
इस बातचीत में दोनों पक्षों ने खूनी संघर्ष से पैदा हुई गंभीर परिस्थिति से पार पाने के लिए मिलट्री कमांडरों के बीच हुई बातचीत में बनी सहमति के मुताबिक आगे का रास्ता तय करने पर हामी भरी। ध्यान रहे कि सोमवार को हुई खूनी झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। वहीं, चीन के 43 सैनिकों को मारे जाने की खबर आ रही है। यह हालत तब रही जब भारतीय सैनिकों के मुकाबले चीनी सैनिकों की संख्या पांच गुना थी।

चीन की कथनी और करनी में अंतर
दरअसल, चीनी विदेश मंत्री बातचतीत के जिस मौजूदा तंत्र की बात कर रहे हैं, उसी के तहत 5 मई की पहली झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच करीब 15 दौर की बातचीत हुई। 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत में दोनों देश अपने-अपने सैनिकों को पीछे बुलाकर डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया शुरू करने को राजी हुए थे। भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू सोमवार को गलवान वैली में वही देखने गए थे कि क्या चीन वादे के मुताबिक अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है या नहीं, तभी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने उन पर हमला कर दिया।

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