चार एनजीओ ने की न्यायालय में भोपाल गैस कांड के आंकड़े सुधारने की मांग

भोपाल
 भोपाल गैस पीड़ितों के चार गैर सरकारी संगठनों :एनजीओ: ने केन्द्र तथा मध्यप्रदेश सरकार से अतिरिक्त मुआवजे के लिये लगाई गई सुधार याचिका में गैस कांड की वजह से हुई मौतों और बीमारियों के आंकड़े उच्चतम न्यायालय में अगले महीने होने जा रही सुनवाई के पहले सुधारने की मांग की है। भोपाल गैस पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को यहां एक पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र तथा प्रदेश की सरकारें अतिरिक्त मुआवजे के लिए लगाईं गई सुधार याचिका में गैस काण्ड की वजह से हुई मौतों और बीमारियों के आंकड़े उच्चतम न्यायालय में अगले महीने होने जा रही सुनवाई के पहले सुधार लें।    

उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने भोपाल के हर गैस पीड़ित को मुआवजे में 5 लाख रूपए दिलवाने का वादा किया है लेकिन केंद्र तथा प्रदेश की सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत मौतों और बीमारियों के आंकड़े सुधारने पर ही यह वादा पूरा किया जा सकता है | भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, ‘‘पिछले साल दिसंबर में हमने प्रधानमंत्री से, भोपाल गैस काण्ड के सम्बन्ध में कार्य करने के लिए अधिकृत केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को यह निर्देश देने की गुजारिश की थी कि वह वैज्ञानिक तथ्यों और सरकारी दस्तावेजों के आधार पर, सुधार याचिका में अपेक्षित सुधार करे। लेकिन आज तक उन्हें प्रधानमंत्री के दफ्तर से कोई जवाब नहीं मिला, पावती तक नहीं मिली।’’ भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा कि इस साल जनवरी में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को भेजी चिट्ठी का भी जवाब नहीं आया। उन्होंने कहा, "हमने अपनी चिट्ठी में उन दस्तावेजी सबूतों का जिक्र किया था जो यह दिखाते हैं कि दिसंबर 1984 में मिथाइल आइसो सायनेट गैस की वजह से पीड़ितों को पहुंचे नुकसान की सही जानकारी प्रदेश सरकार जानबूझकर छिपा रही है और सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह कर रही है।

 हमने उनसे गुजारिश कि वे सरकारी दस्तावेजों और अस्पतालों के रिकार्ड से गैस काण्ड की वजह से हुई मौतों और बीमारियों के सही आंकड़े जुटाएं। परन्तु आज तक चिट्ठी का जवाब या पावती कुछ नहीं आया।’’ भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, "इस साल जनवरी में हमने भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मन्त्री को भी चिट्ठी लिखकर मौतों और बीमारियों के सही आंकड़े जुटाने के साथ साथ इन आँकड़ों को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को उपलब्ध करने की मांग की थी। पर आज तक जवाब नहीं मिला| इस मुद्दे पर मन्त्री की चुप्पी रहस्यमय है क्योंकि उनका यह दावा है कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने विधानसभा में हर गैस पीड़ित को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग हमेशा उठाई है।"    डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नामक संगठन की नौशीन खान ने कहा, "उदासीन सरकारों के संवेदनहीन मंत्रियों से किया गया पत्राचार वाकई बहुत निराशाजनक है’’ ढींगरा ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की सरकारों ने यदि हमारी मांग पर गौर नहीं किया तो सभी संगठन इस लड़ाई को कानूनी तौर पर और सड़कों पर लड़ेंगे।

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