गगनयान के लिए 12 में से चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का चयन और उन्हें प्रशिक्षित करेगा रूस

  दिल्ली/मॉस्को 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इस मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए 2022 के शुरुआती महीने का लक्ष्य निर्धारित है। गगनयान मिशन के लिए चयनित होने वाले 12 संभावित भारतीय अंतिरक्ष यात्रियों में से चार का चयन रूस करेगा और उन्हें अपने यहां प्रशिक्षण भी देगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम नवंबर महीने से शुरू होगा और 15 महीने तक चलेगा। इस मिशन पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। मिशन के निर्धारित लक्ष्यों के मुताबिक, भारत अपने कम-से-कम तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 5 से 7 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा जहां वे विभिन्न प्रकार के माइक्रो-ग्रैविटी टेस्ट को अंजाम देंगे। 
 
यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में होगी ट्रेनिंग 
रसियन स्पेश एजेंसी रॉस्कोमोस के महानिदेशक दिमित्रा रोगोजिन और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की मॉस्को में मीटिंग हुई। इस दौरान दोनों पक्षों ने मॉस्को स्थित यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेश मिशन के लिए तैयार करने के प्रस्ताव पर सहमति बनी। ट्रेनिंग खत्म होने पर चारों अंतरिक्ष यात्री भारत लौट आएंगे और यहां 2022 में लॉन्चिंग से पहले के कुछ महीनों में बाकी की तैयारियां करेंगे। दोनों देशों ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के दल को ले जाने वाले रॉकेट के एयरोडायनैमिक टेस्ट, पायलेटेड वीइकल और क्रू रेस्क्यू सिस्टम को लेकर भी चर्चा की। दोनों पक्ष जल्द ही क्रू मेंबर्स के लिए सीटों, खिड़कियों और स्पेस सूट्स की आपूर्ति के कॉन्ट्रैक्ट्स डील करेंगे। 
 
गगनयान अभियान में तीन तरह से मदद कर रहा है रूस 
रूस स्पेश मिशन में भारत को तीन पहलुओं से मदद कर रहा है। रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'सहयोग का पहला क्षेत्र स्पेश क्रू का चयन और उनका प्रशिक्षण है। यह हमारा पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान है जबकि उनके पास इस क्षेत्र में गहरा अनुभव है।' रूस वास्तविक अभियान से पहले प्रशिक्षण अभियान और उसके तौर-तरीके निर्धारित करने में भी मदद कर रहा है। उन्होंने बताया, 'वास्तविक अभियान से पहले बहुत बार अभ्यास करना होता है। उचित तौर-तरीकों का चयन भी मिशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे हमें इन दोनों क्षेत्रों में मदद कर रहे हैं।' 
 

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