गंभीर ने पूछा- कहां चला गया मोहल्ला क्लीनिक, कॉमन मैन भटक रहा है

नई दिल्ली
दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं। लोगों को इलाज के लिए इधर-उधर से भटकना पड़ रहा है। कोरोना मरीजों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी से दिल्ली सरकार हैरान और परेशान हो गई है। केजरीवाल सरकार को विपक्षी दलों ने घेरना शुरू कर दिया है।

पूर्व किक्रेटर व पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर ने एक चैनल में दिए इंटरव्यू में कहा है कि दिल्ली में एमपी और एमएलए को अस्पताल में बेड मिल जाएगा। मगर आम लोगों को इलाज के लिए इधर से उधर भटकना पड़ेगा, उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकारी की ओर से कोरोना के मरीजों के लिए अस्पतालों में 30 हजार बेड की जानकारी दी गई थी, लेकिन हकीकत में 30 हजार बेड कहां है ये किसी को नहीं पता है।

अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल में कन्वर्ट करने में देरी क्यों?
गौतम ने कहा कि मेरी नजर में दो हॉस्पिटल हैं, जिन्हें दिल्ली सरकार ही कोविड-19 में कन्वर्ट कर सकती है। फिर देरी क्यों हो रही है। अगर ये हो जाता है तो गरीब आराम से इलाज करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जहां एक ओर कोरोना बढ़ रहा है, वहीं इसकी टेस्टिंग लगातार कम हो रही है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने सरकारी किसी किचन चलाने की बात कही थी मगर उसका एड्रेस सरकार की ओर से नहीं दिया गया। गंभीर ने कहा कि केजरीवाल ने एजुकेशन और हॉस्पिटल के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। मगर 3 महीने में सारी व्यवस्था चौपट हो गई। गंभीर ने कहा कि सरकार एक साल में कम से कम एक अस्पताल को बना ही सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक भी कोई काम नहीं आ रहे हैं।

सरकार को ट्रांसपरेंसी रखने की जरूरत
गंभीर ने कहा कि सरकार को ट्रांसपरेंसी रखने की जरूरत है। सरकार से कोई कुछ पूछता तो कोई जवाब नहीं मिलता है। गंभीर ने कहा है कोई मुझसे पूछे मैंने क्या किया है, सब कुछ बता दूंगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली से कहीं बड़े प्रदेश पंजाब, केरल है। वहां कोरोना सरकारों ने कोरोना की रोकथाम को लेकर मोर्चा संभाला हुआ है। दिल्ली की दो से ढाई करोड़ जनता की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। सरकार को कम से कम सच बोलने की नीयत रखनी चाहिए। हम सब भी मिलकर काम करेंगे

चुनाव जीतने के लिए फ्री में बांट दिया सबकुछ
गंभीर ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने चुनाव जीतने के लिए सबकुछ फ्री में बांट दिया। अब सरकार के पास फंड नहीं है। जिसके चलते लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। दिल्ली सरकार ने जनता को मरने के लिए छोड़ दिया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

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