‘खाना, धर्म और हलाल’ के गेम में फंसा Zomato, हलाल टैग पर दी सफाई

फूड डिलिवरी ऐप Zomato एक विवाद में घिरता नजर आ रहा है, जिसकी शुरुआत डिलिवरी बॉय बदलने की मांग और धर्म को लेकर हुई। दरअसल बीते दिनों एक यूजर ने 'गैर-हिंदू' डिलिवरी बॉय से अपना खाना लेने से इनकार कर दिया था और बदले में ऐप ने यूजर को रिफंड भी नहीं किया। यूजर अमित शुक्ला की ओर से यह बात ट्विटर पर शेयर की गई तो जोमैटो ने उसके जवाब में लिखा, 'खाने का कोई धर्म नहीं होता। खाना खुद एक धर्म है।' इसके बाद कई कस्टमर्स ने सोशल मीडिया पर ऐप के खिलाफ पोस्ट करते हुए लिखा कि इसके बावजूद 'हलाल मीट' की मांग करने वाले यूजर्स को ऐप अच्छी प्रतिक्रिया देता है और उनकी मांग स्वीकार करता है।

कई यूजर्स ने ट्विटर पर स्क्रीनशॉट शेयर किए जिनमें जोमैटो ने नॉन-हलाल मीट सर्व करने पर कस्टमर्स से माफी मांगी थी। इनमें से कई यूजर्स गूगल प्ले और ऐपल ऐप स्टोर पर जोमैटो को 1 स्टार रेटिंग दे रहे हैं। इतना ही नहीं, ट्विटर पर #BoycottZomato हैशटैग के साथ ऐप का बहिष्कार करने की अपील भी कइयों की ओर से की जा रही है। कस्टमर्स की ओर से सोशल मीडिया पर मिली ऐसी प्रतिक्रिया और हलाल, नॉन-हलाल मीट को लेकर कंपनी ने अब सफाई दी है और लंबा बयान अपने ऑफिशल ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है। जोमैटो का कहना है कि हलाल मीट से जुड़ा टैग ऐप नहीं, बल्कि रेस्तरां की ओर से लगाया गया है।

ऐप चेक नहीं करता हलाल मीट

कंपनी ने ट्विटर पर शेयर किया, 'जोमैटो पर दिखने वाला हलाल टैग रेस्तरां की ओर से उसे अलग दिखाने की कोशिश है, न कि एक ग्रुप के तौर पर हमें। हम यह जानकारी देते हैं, जिससे एक कस्टमर के तौर पर आप आसानी से चुन सकें और अपनी पसंद बता सकें कि आप हलाल मीट खाना चाहते हैं या नहीं। एक ग्रुप के तौर पर यह जरूरी है कि हम सभी अलग-अलग विकल्प दिखाएं, जिनमें से हमारे कस्टमर्स अपनी पसंद चुन सकते हैं।' कंपनी ने लिखा, 'ऐसा मीट सर्व करने के लिए रेस्तरां को हलाल-सर्व करने का सर्टिफिकेट ऑल-इंडिया बॉडी देती है और हम किसी भी तरह चेक नहीं करते कि मीट हलाल है या नहीं।'

रेस्तरां ले सकते हैं हलाल सर्टिफिकेट

जोमैटो ने बताया कि रेस्तरां के लिए FSSI लाइसेंस अनिवार्य है, जबकि हलाल सर्टिफिकेट स्वेच्छा से लिया जा सकता है। कंपनी ने कहा कि इस तरह दिखने वाले टैग यूजर्स की यह समझने में मदद करते हैं कि उनके पसंद की डिश ऐप पर दिख रही है या नहीं। जोमैटो ने लिखा, 'यही वजह है कि अगर कस्टमर को हमारे ऐप से कोई गलत ऑर्डर या दूसरी कैटिगरी का ऑर्डर मिलता है तो हम उसकी जिम्मेदारी लेते हैं।' इससे पहले की गई अपनी प्रतिक्रिया 'खाने का कोई धर्म नहीं होता।' पर जोमैटो ने कहा, 'हां, खाने का कोई धर्म नहीं होता। इंसान क्या पकाते और क्या खाना चाहते हैं, यह उनकी पसंद है- आप चाहे धार्मिक व्यक्ति हों या न हों।'

 

ऐप पर जैन और नवरात्रि थाली भी

ट्वीट में जोमैटो ने कहा, 'हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और यही वजह है कि कस्टमर्स की जरूरत के हिसाब से सभी संभावित विकल्प उनको देते हैं, जिससे वे अपनी पसंद का खाना चुन सकें। उदाहरण के लिए हमारे ऐप पर जैन थाली, शाकाहारी खाना, नवरात्रि थाली जैसे टैग भी दिखते हैं।' बता दें, जोमैटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए साफ किया था कि जोमैटो पर ऐसे लोगों की कोई जगह नहीं है, जो धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं और उन्होंने ऐसे कस्टमर्स को नम्रता से ऐप छोड़ने को कहा जो धर्म के आधार पर डिलिवरी बॉय चुनने का विकल्प चाहते हैं।'

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