क्लिनिकल साइकॉलजी में बनाएं करियर, खूब है स्कोप

क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट लोगों को अपने विचार और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। वह अपने क्लायंट् के विचार और व्यवहारों को पहले समझता है और फिर उनकी मनोचिकित्सीय समस्या को दूर करता है। अगर आप चाहते हैं कि लोगों की मनोचिकित्सीय कठिनाई दूर करें और आपके पास अच्छा कम्यूनिकेशन एवं सुनने का स्किल है तो यह आपके लिए आदर्श जॉब हो सकती है।

आपको क्या पढ़ना चाहिए?
इसकी अंडरग्रैजुएट डिग्री में छात्रों को साइकॉलजी की बुनियादी चीजें पढ़ाई जाती हैं। उनको इंटर्नशिप और स्वंयसेवा के अवसर प्रदान करके क्लिनिकल कार्य के लिए तैयार किया जाता है। अगर अंडरग्रैजुएट कोर्स में साइकॉलजी मुख्य विषय नहीं है फिर भी ग्रैजुएट प्रोग्राम में अलग-अलग डिसिप्लिन की छात्रों को दाखिला मिल जाता है। दो सालों की मास्टर डिग्री करने के बाद कई तरह की क्लिनिकल साइकॉलजी के मैदान में प्रैक्टिस कर सकते हैं। उसमें शादी और परिवार से संबंधित समस्याओं में काउंसिलिंग करना या उद्योग और संगठनात्मक मनोचिकित्सा से संबंधित समस्याओं से निपटने में लोगों की मदद करना शामिल है।

काम क्या करना पड़ता है?
क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट को किसी खास क्लायंट ग्रुप के साथ काम करना होता है। उनमें पढ़ने और कुछ सीखने में असमर्थ लोग एवं बच्चे शामिल होते हैं। उनको हॉस्पिटल या अन्य जगहों पर भी काम करना पड़ता है। उनको साइकोमीट्रिक टेस्ट, इंटरव्यू और व्यवहारों के प्रत्यक्ष अवलोकन के माध्यम से कई क्लायंट की जरूरतों, योग्यताओं और व्यवहार का आकलन करना होता है। इसके बाद वह क्लायंट के लिए उपचार का सुझाव देता है जिसमें थेरापी, काउंसिलिंग आदि शामिल होते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद, व्यसन, सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याओं से निपटने के लिए थेरापी और उपचार का सुझाव देता है।

करियर की संभावना
अकसर क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट अपनी खुद की क्लिनिक चलाता है या ग्रुप प्रैक्टिस करता है। क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट के तौर पर आप अस्पतालों में भी जॉब कर सकते हैं। वहां आपको बच्चे, कैंसर के मरीज या बुजुर्गों को देखना होता है।

इसके अलावा आप फरेंसिक फील्ड में भी करियर बना सकते हैं। इस तरह के प्रफेशनल्स को क्लिनिकल फरेंसिक साइकॉलजिस्ट कहा जाता है जो अपराधियों के आकलन और जांच में स्पेशलाइजेशन रखता है। अदालत काम कैसे करता है और कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी जरूरी होती है।

क्लिनिकल स्पोर्ट्स साइकॉलजिस्ट खिलाड़ियों को डील करता है। खिलाड़ियों को मनोचिकित्सीय समस्याओं से उबरने और अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने में क्लिनिकल स्पोर्ट्स साइकॉलजिस्ट की भूमिका अहम होती है।

कोर्स
चाइल्ड साइकॉलजिस्ट (Child Psychologist)
फरेंसिक साइकॉलजिस्ट (Forensic Psychologist)
अस्पताल में सीनियर साइकॉलजिस्ट (Senior Psychologist in hospital setting)
डोमेस्टिक वायलेंस साइकॉलजिस्ट (Domestic Violence Psychologist)
चाइल्ड अब्यूज साइकॉलजिस्ट (Child Abuse psychologist)
हेल्थ साइकॉलजिस्ट (Health Psychologist)
मिलिट्री साइकॉलजिस्ट (Military Psychologist)
प्रिजन साइकॉलजिस्ट (Prison Psychologist)
सब्सटेंस अब्यूज साइकॉलजिस्ट (Substance Abuse Psychologist)
मूड डिस्ऑर्डर साइकॉलिजस्ट (Mood Disorder Psychologist)
स्पोर्ट्स साइकॉलजिस्ट (Sports Psychologist)
रिसर्च साइकॉलजिस्ट (Research Psychologist)
प्रफेसर ऑफ साइकॉलजी (Professor of Psychology)

स्किल
क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट बनने के लिए आपमें निम्न योग्यताएं होनी चाहिए
शानदार कम्यूनिकेशन और सुनने की स्किल
संकट में फंसे लोगों के लिए दया और उनको उबरने में मदद करने का कौशल
ईमानदारी और निष्ठा
तनावपूर्ण स्थिति में भी शांत रहने की योग्यता
टीम के साथ अच्छी तरह काम करने की योग्यता
समस्या हल करने और फैसले लेने का जबर्दस्त कौशल

प्रमुख संस्थान
University of Mumbai
Delhi University
NIMHANS, Bangalore
Ambedkar University, Delhi
Gauhati University, Assam
Department of Psychology, Ranchi University
Ranchi , Jharkhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *