क्या यूपी में अकेले लड़कर कांग्रेस ने खेला मास्टरस्ट्रोक या होगा नुकसान?

 
नई दिल्ली   
 
भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में 2014 का प्रदर्शन दोहराना बहुत मुश्किल होगा. कई जानकार मानते हैं कि सपा-बसपा के महागठबंधन में शामिल न होकर कांग्रेस बीजेपी की ही मदद कर रही है और उसे खुद का कोई फायदा नहीं होने जा रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और बताते हैं. 

कभी एक दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) ने जब एक दूसरे से हाथ मिला लिया उसी दिन ये तय हो गया कि देश की सत्ता की बागडोर थमाने वाले राज्य में भारतीय जनता पार्टी के अच्छे दिन आने में मुश्किलें पैदा हो गईं हैं. बीजेपी के लिए 2014 का प्रदर्शन दोहराना आसान न होगा. मगर चुनाव के कई जानकार मानते हैं कि महागठबंधन में शामिल न होकर कांग्रेस सिर्फ बीजेपी की मदद कर रही है और उसे कोई खास लाभ होता नजर नहीं आ रहा है.

लेकिन क्या सच्चाई यही है. आखिर कांग्रेस किसका वोट काटेगी. इंडिया टुडे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट (DiU) ने ये जानने की कोशिश की. हमने उत्तर प्रदेश में इन तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों की जातिगत प्रोफाइल का विश्लेषण किया.

इंडिया टुडे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट ने 80 में से 52 चुनाव क्षेत्रों से मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया तो नतीजे चौंकाने वाले निकले. इस विश्लेषण के मुताबिक 36 सीटों पर कांग्रेस एसपी-बीएसपी गठबंधन की मदद करती नजर आ रही है. वही बचे हुए 16 सीटों पर बीजेपी विरोधी वोट बंट सकते हैं जिनका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

हमारे विश्लेषण के नतीजे बताते हैं कि महागठबंधन में हिस्सा न लेने के बावजूद कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवार खड़े किए हैं जो बीजेपी के ही वोट काटेंगे और गठबंधन उम्मीदवारों की मदद कर सकते हैं. हम आपको बता दें कि 2014 में बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 पर जीत दर्ज की थी.

DiU का विश्लेषण जाति के आधार पर किया गया है क्योंकि हर बार की तरह इन चुनावों में भी जाति एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

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