कोरोना से निपटने के लिए डॉक्टरों की नियुक्ति पर विवाद, जानिए ये है मसला

भोपाल
कोरोना वायरस (corona virus) के संक्रमण से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए डॉक्टरों (doctor) की नियुक्ति पर बवाल शुरू हो गया है. ये नियुक्ति अस्थायी तौर पर सिर्फ 3 महीने के लिए की जा रही है. शुरुआत आयुष डॉक्टरों को 25000 रुपए वेतन देने के फैसले से हुई.आयुष डॉक्टरों के एसोसिएशन की आपत्ति इस बात पर है कि जब एमबीबीएस (MBBS) डॉक्टरों को 60000 रुपए दिए जा रहे है तो हमें इतने कम क्यों.

कोविड – 19 कोरोना संक्रमण की विपदा की स्थिति में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जिला स्तर पर प्रदेश में तीन माह के लिये डॉक्टरों नियुक्ति हके लिए विज्ञापन दिया है.इसमें एमबीबीएस के लिये 60 हजार रु प्रतिमाह और बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस आयुष डॉक्टरों के लिये 25 हजार रु प्रतिमाह सैलरी रखी गयी है.

आयुष डॉक्टरों को सरकार के भेदभाव पर आपत्ति है. आयुष मेडिकल एसोसिएशन की ओर से प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने इस प्रकार से वेतन निर्धारण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि क्या डॉक्टरों की जान की कीमत अलग-अलग है. आयुष डॉक्टरों को 25 हजार रुपए और एमबीबीएस को 60 हजार रुपए. ये कहां का इंसाफ है. ज्यादातर आयुष डॉक्टर इस विपत्ति में जनमानस की सेवा को प्राथमिकता दे रहे हैं. डॉ राकेश पाण्डेय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि वो हस्तक्षेप कर आयुष डॉक्टरों का वेतन भी 60 हजार रुपए करवाएं.

डॉ पाण्डेय ने बताया कि संचालनालय ने सभी कलेक्टर्स और जिला स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष को पत्र भेजकर अपना फैसला बता दिया है. प्रदेश में आज तीस हजार से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स हैं, जो ऐसे हालात में एमबीबीएस डॉक्टर्स की कमी पूरा कर सकते हैं.

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