कोरोना इफेक्ट: ‘मिनी सूरत’ के कारोबारियों का रोना, कब मिटेगा कोरोना

बिहार 
                                                                                                        
कोरोना का खौफ बाजारों में साफ दिख रहा है। इसकी चपेट में मिनी सूरत के नाम से मशहूर सोहसराय की साड़ी मंडी भी आ गयी है। पहले हर वक्त बिहार और झारखंड के विभिन्न जिले के कारोबारियों से गुलजार रहने वाली मंडी में इन दिनों सन्नाटा है। थोक व्यापारियों का धंधा मंदा हो गया है। 40 फीसदी तक बिक्री कम हो गयी है।
हद तो यह कि कुछ दुकानदारों को बोहनी पर भी आफत है। 

सोहसराय (मिनी सूरत) में करीब छह सौ साड़ी की थोक दुकाने हैं। सूरत, कोलकाता, मुम्बई, बनारस, दिल्ली, बरैली, जयपुर आदि बड़े शहरों से साड़ी की खेप यहां पहुंचती है। यहां की थोक मंडी से बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों के कारोबारी माल ले जाते हैं। इतना ही नेपाल तक यहां से कारोबारी साड़ी ले जाते हैं। सीजन में औसतन तीन करोड़ का कारोबार रोज होता है। जब से कोरोना का कहर बरपा है, तब से मिनी सूरत की रौनक ही गायब हो गयी है।  

थोक व्यापारी कहते हैं कि कोरोना के डर से दूसरे प्रदेश से कारोबारी नहीं आ रहे हैं। इसकी वजह से साड़ियों की बिक्री धड़ाम हो गयी है। मजबूरी ऐसी कि खरीदारों की राह देखनी पड़ती है। जबकि, पहले माल लेने वालों का तंता लगा रहता था। 

उधारी वसूलने पर भी आफत 
थोक मंडी में नगद के साथ उधारी पर भी धंधा होता है। विभिन्न जिलों के पुराने कारोबारी उधारी में माल ले जाते हैं और एक से दो महीने में जब वे पुन: खरीदारी करने आते हैं तो बकाये राशि का भुगतान करते हैं। लेन-देन दुकानदार और खरीदार के विश्वास पर होता है। जब से कोरोना के कारण बाहर के व्यापारी आना बंद कर दिये हैं, तब से उधारी वसूली भी ठप हो गयी है। 

स्टाफ का खर्चा निकालना भी मुश्किल 
कपड़ा मंडी के व्यापारियों ने बताया कि हालत ऐसी हो गयी है कि खरीदारों की बांट जोहनी पड़ती है। कई दिन ऐसे भी गुजरते हैं, जब कुछ दुकानदारों को बोहनी तक नहीं हो पाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *