Hepatitis Day: जानकारी और समय पर जांच से बच सकती है जान
भारत में हेपेटाइटिस एक प्रमुख हेल्थ प्रॉब्लम बना हुआ है। इसमें हेपेटाइटिस B सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है। भारत के 3 से 5 प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस B के संक्रमण से जूझ रहे हैं। आसान शब्दों में इसे लिवर में हेपेटाइटिस वायरस (HBV) का इन्फेक्शन कह सकते हैं। यह वायरस खून, असुरक्षित सेक्स, दूसरों के उपयोग की गई सूई के अलावा मां से उसके नवजात बच्चे में भी फैलता है। वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे पर जानिए यह कितने प्रकार का होता है और इससे बचाव कैसे हो सकता है।
हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है- A, B, C, D और E। इनमें B और C सबसे खतरनाक होते हैं और इन्हें क्रॉनिक हेपेटाइटिस माना जाता है। वहीं A और E ज्यादा खतरनाक नहीं होते। सभी प्रकार के हेपटाइटिस और लक्षण के बारे में यहां जानिए।
हेपेटाइटिस A
इसका वायरस पानी और खाने के जरिए शरीर में आता है। वायरस का इन्फेक्शन होने के 15 से 45 दिन में लक्षण सामने आते हैं। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर सभी मामलों में ए वायरस खुद-ब-खुद चला जाता है। हेपटाइटिस ए की वैक्सीन है, लेकिन खास जरूरत नहीं समझी जाती, क्योंकि यह जानलेवा नहीं है।हेपटाइटिस A क्रॉनिक नहीं होता। यह लिवर को अमूमन नुकसान नहीं पहुंचाता।
लक्षण
अगर आपको ज्यादा थकावट हो रही है, आपके जोड़ों में दर्द है, 100 डिग्री बुखार रह रहा है, कम भूख लग रही है, पेट में दर्द रहता है, तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। साथ ही आपकी आंखों में पीलापन हो और पेशाब भी पीले रंग का हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में आपको जल्द डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
हेपेटाइटिस B हेपेटाइटिस B का वायरस खून, सीमन और शरीर के अन्य तरल पदार्थ के जरिए संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचता है। हेपेटाइटिस B बड़ी ही शांति के साथ अटैक करता है और व्यक्ति को इसके बारे में पता भी नहीं चलता।
लक्षण
हेपेटाइटिस B में जोड़ों में दर्द, पेट में दर्द, उल्टी और कमजोरी का अहसास होता है। हमेशा थकान सी लगती है। स्किन का रंग पीला हो जाता है और आंखों का सफेद हिस्सा भी पीला पड़ जाता है। बुखार आ जाता है और यूरीन का रंग भी गाढ़ा हो जाता है। भूख का लगना कम हो जाता है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो 24 घंटे के अंदर डॉक्टर से संपर्क करें। त्वरित तौर पर दी गई ट्रीटमेंट हेपेटाइटिस B से बचाव कर सकती है।
हेपेटाइटिस C
हेपेटाइटिस C वायरस का इन्फेक्शन होने के करीब डेढ़ से दो महीने बाद लक्षण नजर आते हैं। कई मामलों लक्षण दिखाई देने में एक महीने से चार महीने लग जाते हैं। ऐसे मामलों को अक्यूट कहा जाता है। वहीं जब इन्फेक्शन छह महीने से ज्यादा समय से हो, तब वह क्रॉनिक कहलाता है। इसमें मरीज के पूरी तरह ठीक होने के आसार कम हो जाते हैं।
लक्षण
ज्यादा थकावट, जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, भूख कम लगना, पेट दर्द, आंखों में पीलापन और पेशाब का रंग पीला होना इसके मुख्य लक्षण हैं। अगर इनमें से एक से ज्यादा लक्षण किसी में भी नजर आता है, उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए।