कैबिनेट ने बैंकों के विलय को दी मंजूरी, विश्व स्तरीय बैंक बनाने का है उद्देश्य

 
नई दिल्ली

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार 'बड़े बैंक' बनाने की मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने विलय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और सरकार इन बैंकों के लगातार संपर्क में है। सीतारमण ने कहा, 'बैंकों के विलय की प्रक्रिया जारी है और इसका फैसला हर बैंक का निदेशक मंडल पहले ही ले चुका है।' नरेंद्र मोदी की सरकार ने बीते साल अगस्त में बैंकों के मेगा मर्जरी की घोषणा की थी।

दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा PNB
योजना के मुताबिक, यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया तथा ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नैशनल बैंक में विलय होगा, जिससे यह दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा।

वहीं, सिंडिकेट बैंक में केनरा बैंक, इलाहाबाद बैंक तथा इंडियन बैंक का विलय किया जाएगा। इसी तरह, आंध्रा बैंक तथा कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय किया जाएगा।

'विलय समस्याओं का समाधान नहीं'
बैंक यूनियनों का हालांकि मानना है कि बैंकिंग सेक्टर्स की समस्याओं का समाधान बैंकों के विलय से नहीं होगा और उन्होंने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।

2018 में आया था प्लान
बैंक के विलय की योजना सबसे पहले दिसंबर 2018 में पेश की गई थी, जब आरबीआई ने कहा था कि अगर सरकारी बैंकों के विलय से बने बैंक इच्छित परिणाम हासिल कर लेते हैं तो भारत के भी कुछ बैंक वैश्विक स्तर के बैंकों में शामिल हो सकता है।
 

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