केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आज महागठबंधन का ‘आक्रोश मार्च’

 पटना 
केंद्र और राज्य सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ बिहार में विपक्षी महागठबंधन वाम दलों के साथ मिलकर बुधवार (13 मार्च) को राज्यव्यापी "आक्रोश मार्च" निकालेगा। महागठबंधन में समन्वय समिति के गठन की मांग पूरी नहीं होने से नाराज चल रहे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर और विकासशील इंसान पार्टी के इस मार्च में शामिल नहीं होने की अटकलों को नकारते हुए रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने दावा किया कि इस मार्च में महागठबंधन के सभी घटक दलों के अलावा वाम दल भी शामिल होंगे।

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से उनके सरकारी आवास पर कुशवाहा ने मंगलवार को मुलाकात की। उसके बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मांझी ने कहा कि मान मनौव्वल की कोई बात नहीं है। हमने कभी नहीं कहा था कि 13 तारीख के इस मार्च में भाग नहीं लेंगे। हमारी केवल एक मांग (महागठबंधन में समन्वय समिति का गठन) है और कमोबेश महागठबंधन के सभी घटक दल इससे सहमत है कि जमहुरियत में सबके विचार से कोई काम होना चाहिए जो कि अभी महागठबंधन में नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा कि महागठबंधन में समन्वय समिति का गठन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले हो जाना चाहिए, न कि चुनाव के समय। कुशवाहा ने मांझी की मौजूदगी में कहा कि 12 अक्टूबर को जब उन्होंने पटना के बापू सभागार में आयोजित एक समारोह के दौरान इस मार्च की घोषणा की थी तो उस समय मांझी सहित महागठबंधन के बाकी घटक दलों के नेता मौजूद थे और बुधवार को आयोजित होने वाला आक्रोश मार्च सभी का साझा कार्यक्रम है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा से मुलाकात के बाद विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने पत्रकारों से कहा कि महागठबंधन में शामिल किसी भी दल ने इस मार्च में शामिल होने को लेकर ना नहीं कहा था। उन्होंने दावा किया कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव का समय आते आते महागठबंधन का स्वरूप और बडा हो जाएगा और वामदलों के साथ मिलकर हम बेहतर सरकार और राजग का विकल्प देंगे।

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