किसी और सीट से न लड़ें, करें हम पर भरोसा, राहुल गांधी से अमेठी के लोगों की फरियाद

 
अमेठी 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी के अलावा केरल (वायनाड) या दक्षिण भारत की किसी सीट पर चुनाव लड़ने की चर्चा है। इन चर्चाओं के दौर में अमेठी की जनता ने राहुल के यहां से कहीं और न जाने की फरियाद की है। हालांकि, अमेठी कांग्रेस की तमाम इकाइयों ने यह प्रस्ताव पास कर दिया है कि राहुल को अमेठी के अलावा दक्षिण भारत की भी एक सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए। 
 
अमेठी की जनता दुहाई दे रही है कि यह गढ़ गांधी परिवार का है और राहुल को यहां की जनता पर भरोसा करना चाहिए। वहीं, जिला इकाइयों का तर्क है कि इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उत्तर के अलावा दक्षिण का भी प्रतिनिधत्व कर चुकी हैं। अब राहुल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लिहाजा उन्हें भी दो सीटों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। 

अमेठी के अलावा जब किसी और सीट से राहुल के चुनाव लड़ने की बात अमेठी के लोगों से की जाती है तो वे कड़ी प्रतिक्रिया देते हैं। यहां तक कि वे इसे गलत कदम बताने से भी नहीं चूकते। वे भावुक भी हो जाते हैं। गांधी परिवार से भावनात्मक रिश्तों का हवाला देते हैं। कहते हैं, अमेठी कांग्रेस का गढ़ है। यह प्रतिक्रिया ज्यादातर लोगों की है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि अमेठी में स्मृति की सक्रियता से उपजी आशंका ही दूसरी सीट तलाशने की वजह है। 

तिलोई के इरशाद का मानना है कि राहुल गांधी को सिर्फ अमेठी से ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए। अगर वह दो जगह से लड़ते हैं तो भी अमेठी उन्हें सांसद के रूप में जिताकर दिल्ली भेजेगी, दो जगहों से लड़ने पर जीत के आंकड़ों में गिरावट आएगी। इसके अलावा बाद में उन्हें एक सीट छोड़नी ही पड़ेगी, यह एक तरफ से किसी एक लोकसभा की जनता के साथ छलावा ही होगा। शिवरतनगंज निवासी डॉ मलखान के मुताबिक राहुल का अमेठी के अलावा दूसरी सीट से लड़ना गलत है। इससे लगता है कि उनके मन में अमेठी से जीत की को लेकर कोई आशंका है। विश्लेषकों की राय इससे अलग है। वह इस कदम को दक्षिण तक राहुल को सर्वमान्य नेता साबित करने की कोशिश के तौर पर देखते हैं। इससे चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिलेगा, लेकिन अमेठी में फायदा स्मृति को मिल सकता है। 

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