कर्फ्यू लगने के बाद एक वक्त के खाने पर जिंदा हैं चंडीगढ़ के कई गरीब परिवार

चंडीगढ़ 
कर्फ्यू की बंदिशों के कारण मेहनत मजदूरी और छोटा-मोटा काम धंधा करने वाले लोग अपने घरों में कैद हैं. इनमें से ज्यादातर लोग बस्तियों में रहते हैं. जैसे ही इन बस्तियों के आसपास धार्मिक संस्थाओं के लोग खाना लेकर पहुंचते हैं यह लोग सड़कों पर जमा हो जाते हैं. कर्फ्यू ने काम की तलाश बंद कर दी है लेकिन अब इनको दो जून की रोटी की तलाश है.

60 साल की बाला कर्फ्यू लगने से पहले घरों में बर्तन साफ करने का काम करती थीं लेकिन कर्फ्यू के बाद वह बेरोजगार हो गई हैं. घर में 3 सदस्य और हैं जिनके पास ना तो काम है और ना ही खाने को रोटी. बाला दान में मिलने वाले खाने के एक पैकेट से संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि इससे सिर्फ एक व्यक्ति का पेट भर सकता है और घर में तीन लोग और भूखे हैं.
 
बाला स्थानीय प्रशासन और सरकार द्वारा गरीब लोगों के लिए शुरू किए गए राहत कार्यों को महज एक दिखावा बता रही हैं. उनके मुताबिक उनकी कॉलोनी में दर्जनों ऐसे परिवार हैं जो एक वक्त के खाने पर जिंदा हैं.
 
बाला की तरह ही नाथपंथी समुदाय के राम गाय पालने वाले परिवार भी कर्फ्यू की मार झेल रहे हैं. यह लोग महाराष्ट्र के रहने वाले हैं और राम गायों के साथ खानाबदोश जिंदगी बसर करते हैं. लेकिन जब से चंडीगढ़ में कर्फ्यू लगा है ना तो यह अपनी गायों के लिए चारा और ना ही खुद के लिए खाना जुटा पा रहे हैं.
 
यह परिवार भी धार्मिक संस्थाओं द्वारा दिए गए खाने पर ही निर्भर हैं. लेकिन इनके सामने बड़ी समस्या अपनी गायों के लिए चारा जुटाने की है. पुलिस सड़कों पर नहीं निकलने देती और इनका ज्यादातर समय दो जून की रोटी के इंतजार में बीत रहा है.
 
उधर चंडीगढ़ में कर्फ्यू को अगले 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है. चंडीगढ़ में कोरोना वायरस के 16 मामले दर्ज होने के बाद प्रशासन लॉकडाउन और कर्फ्यू के नियमों का कड़ाई से पालन कर रहा है. यानी अगले 15 दिनों तक यह हालत जस के तस रहने वाले हैं.

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