एनकाउंटर: SC से गुजरात सरकार को झटका

नई दिल्ली
फेक एनकाउंटर में मारे गए लोगों की जांच के लिए गठित कमिटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने की गुजरात सरकार की अपील को सुप्रीम कोर्ट से झटका लग गया है। 221 पेज की इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एच एच बेदी की निगरानी में तैयार किया गया था। रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम रहने के दौरान (2002-2007) के दौरान हुई एनकाउंटर में 22 मौतों की जांच कमिटी ने की थी।

गुजरात की बीजेपी सरकार ने 2002 में हुए गोधरा दंगों के बाद 2003 से 2011 के दौरान सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति और इशरत जहां जैसे कई एनकाउंटर के केस में सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा कई बार खटखटाया। 2019 के आम चुनावों से पहले सरकार की बेचैनी रिपोर्ट के सार्वजनिक होने को लेकर है। सरकार के काउंसिल रजत नायर ने कई बार कोर्ट से रिपोर्ट की कॉपी याचिकाकर्ता जावेद अख्तर को नहीं देने की अपील की। सरकार की मुख्य चिंता है कि अख्तर के वकील प्रशांत भूषण रिपोर्ट को सार्वजनिक कर सकते हैं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एल एन राव और जस्टिस एस के कौल ने नायर की याचिका को खारिज कर दी और जस्टिस बेदी की अध्यक्षता में तैयार हुई रिपोर्ट को राज्य सरकार के साथ प्रशांत भूषण के साथ भी शेयर करने का आदेश दिया था। हालांकि, बेंच ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा था कि रिपोर्ट को फाइनल स्तर पर स्वीकार नहीं किया गया है और केस से जुड़ी सभी पार्टियां अपनी आपत्ति दर्ज करा सकती हैं।

नायर ने आखिरी दांव खेलते हुए कोर्ट से रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने की अपील की थी। नायर ने कोर्ट से प्रशांत भूषण के रिपोर्ट को किसी और के साथ शेयर करने या सार्वजनिक करने पर रोक लगाने का आदेश देने की अपील की थी। हालांकि, अदालत ने इस अपील को खारिज कर दिया।

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