ई-कॉमर्स कंपनियां 1 फरवरी को ‘डिलीवरी’ पर राजी नहीं!

 नई दिल्ली 
ऐमजॉन, वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट और दूसरी ऑनलाइन मार्केटप्लेस सरकार से यह गुहार लगा सकती हैं कि ई-कॉमर्स के लिए फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) नियमों में हालिया बदलाव पहली फरवरी से लागू न किए जाएं। मामले से वाकिफ दो लोगों ने बताया कि इन कंपनियों का कहना है कि इतने कम समय में बिजनेस मॉडल बदलना आसान नहीं है, लिहाजा डेडलाइन खिसकाई जाए।  
 
एक सूत्र ने कहा, 'कंपनियों को ताजा प्रावधानों का विस्तार से अध्ययन करना होगा। उन्हें इनके मुताबिक हो सकता है कि ऑपरेशनल लेवल पर बड़े बदलाव करने पड़ें।' उन्होंने कहा कि इसके लिए एक महीने का समय काफी नहीं होगा। एमेजॉन (AMAZON) और फ्लिपकार्ट (FLIPKART) ने इस संबंध में ईटी के सवालों के जवाब नहीं दिए। इन बदलावों की घोषणा 26 दिसंबर को कई गई थी। 

दोनों लोगों ने कहा कि खासतौर से दो क्लॉज ऐसे हैं, जिनके कारण बड़े बदलाव करने होंगे। पहला तो यह है कि किसी भी वेंडर में मार्केटप्लेस या उसकी ग्रुप कंपनियों का इक्विटी स्टेक नहीं हो सकता है। दूसरा क्लॉज यह है कि वेंडर अपनी 25 प्रतिशत से ज्यादा खरीदारी मार्केटप्लेस की होलसेल यूनिट सहित किसी इकाई से करे तो यह माना जाएगा कि वेंडर की इनवेंटरी पर उस मार्केटप्लेस का कंट्रोल है। एफडीआई नियमों के अनुसार, मार्केटप्लेस एंटिटी या उसकी ग्रुप कंपनियां इनवेंटरी पर नियंत्रण नहीं रख सकती हैं। 

ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इनवेंटरी पर कंट्रोल रखती हैं। वे अपनी होलसेल इकाइयों यानी ऐमजॉन होलसेल और फ्लिपकार्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जरिए सस्ती दरों पर मैन्युफैक्चरर्स से थोक खरीदारी करती हैं और यह माल प्रेफर्ड सेलर्स के जरिए अपने मार्केटप्लेस पर बेचती हैं। इन सेलर्स में वे कंपनियां भी होती हैं जिनमें हो सकता है कि ई-कॉमर्स कंपनी या उसकी ग्रुप एंटिटी का स्टेक हो। 

उदाहरण के लिए, क्लाउडटेल पर प्रियोन बिजनेस सर्विसेज का पूर्ण स्वामित्व है। प्रियोन बिजनेस सर्विसेज दरअसल ऐमजॉन और इंफोसिस के फाउंडर एन. आर. नारायणमूर्ति की कैटामारन इंडिया की 49 प्रतिशत और 51 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली ज्वाइंट वेंचर है। ऐसी कई दूसरी कंपनियां भी हैं। फ्लिपकार्ट की पांच बड़ी सेलर्स हैं, जो उसकी होलसेल यूनिट से सारे प्रॉडक्ट्स खरीद लेती हैं। इन मार्केटप्लेस की टोटल सेल्स में करीब 70-80 प्रतिशत हिस्सा इन प्रेफर्ड सेलर्स का होता है। 

फ्लिपकार्ट ने दोहराया था कि वह भारतीय नियमों का पालन करेगी। कंपनी ने कहा, 'हम भारतीय बाजार के लिए प्रतिबद्ध हैं। विचार-विमर्श के जरिए मार्केट आधारित फ्रेमवर्क बनाना महत्वपूर्ण है। हमें उम्मीद है कि निष्पक्ष और ग्रोथ बढ़ाने वाली ऐसी नीतियों को बढ़ावा देने के लिए हम सरकार के साथ मिलकर काम कर पाएंगे जिनसे यह नया सेक्टर विकास करता रहेगा और भारत एक कॉम्पिटीटिव इकनॉमी बनेगा।' 

ऐमजॉन भी कह चुकी है कि वह भारत के नियमों का पालन करती रहेगी। दोनों कंपनियां अपनी रणनीति बना रही हैं और ये जल्द अपनी बात सरकार के सामने अलग-अलग रख सकती हैं। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *