इटावा रेंज से अच्छी खबर 40 साल बाद दिखे घड़ियाल

कोटा
विश्व पर्यावरण दिवस शुक्रवार को मनाया जा रहा है और कोटा जिले के लोगों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए इस अवसर पर बड़ी खुश खबर सामने आई। चंबल घड़ियाल सेंचुरी की इटावा रेंज के मंडावरा नाका वन क्षेत्र इलाके में भी 40 सालों के बाद घड़ियाल दिखाई देने लगे हैं। चालीस सालों से इस इलाके में कोई घड़ियाल रिपोर्ट नहीं हुआ। इस इलाके में घड़ियाल बजरी के अवैध खनन के चलते विलुप्त हो गए थे। लेकिन पिछले ढाई महीने से लॉकडाउन के दौरान अवैध बजरी खनन पर असल में रोक लगी और इसके सुखद परिणाम भी मिले। फिर से इलाके में अब घड़ियाल की साइटिंग होने लगी है।

गुरुवार को नजर आए घड़ियाल के बच्चे
2019 में बारिश के दिनों कोटा बैराज डैम से 19 गेट खोलकर चंबल नदी में भारी जल राशि छोड़ने से नदी में भयंकर बाढ़ आई थी। इसके बाद नदी में बड़ी मात्रा में घड़ियालों की नेस्टिंग के लिए उपयुक्त रेत का जमाव हुआ, संयोग से इलाके में चंबल घडियाल सेंचुरी के खातोली क्षेत्र से 3 मादा और 1 नर घड़ियाल उल्टे चलते हुए यहां पहुंचे। इलाके में अपना प्रवास बनाया ओर कुछ ही दिन पहले वन कर्मियों को घड़ियाल का नेस्ट नजर आया, जिसमें अंडों से बच्चे हैच हुए। जो बीते गुरुवार को ही नजर आए।

लॉकडाउन और वन विभाग की सख्ती का असर
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी तीन राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैली हुई है। कोटा जिले में इसका 141 किलोमीटर लंबा हिस्सा पड़ता है। लंबे समय से मंडावरा वन क्षेत्र में अवैध बजरी खनन होता आ रहा था। इसपर लॉकडाउन और वन विभाग की सख्ती का असर हुआ और अब यह सकारात्मक परिणाम घड़ियालों के नए बसेरा के रूप में सामने आया है। अब घड़ियाल के बच्चे यहां चंबल नदी में अठखेलियां करते नजर आने लगे हैं। इस बात को लेकर वनकर्मी और वन्यजीव प्रेमी काफी खुश है। मंडावरा नाका प्रभारी रामहेत मीणा और वनरक्षक राजकुमार शर्मा के मुताबिक इलाके में 35 से ज्यादा हैच बच्चे नजर आ रहे हैं।

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