आसाम के बागानों की चाय हमें कोरोना वायरस से बचा सकती
हाल ही में अलग-अलग संस्थानों द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के संबंध में की गई रिसर्च में सामने आया है कि आसाम के बागानों की चाय कोरोना वायरस से लड़ने के लिए शरीर को जरूरी इम्युनिटी देती है। यह तो हम सभी जानते हैं कि अभी तक कोरोना की कोई दवाई या वैक्सीन नहीं आई है, ऐसे में आसाम के बागानों की हरी पत्तियों द्वारा बचाव ही बेहतर दवा है…
दुनिया को कोरोना वायरस जैसी समस्या देनेवाला चीन अब भारतीय चाय बाजार पर अधिक निर्भर हो सकता है। ऐसा इसलिए है कि दुनियाभर को ग्रीन-टी सप्लाई करनेवाले चीन को अब आसाम के चाय बागानों में उगनेवाली काली चाय की जरूरत पड़ रही है। ताकि वह अपने लोगों को इस भारतीय चाय का सेवन कराए और उनकी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करे।
दरअसल, पिछले दिनों चीन में ही हुई एक स्टडी में यह बात साबित हुई है कि आसाम के चाय बागानों में उत्पन्न होनेवाली काली चाय इम्युनिटी बूस्टर के रूप में काम करती है। क्योंकि इस चाय में थिफ्लेविन्स नामक तत्व मौजूद होता है, जो इंफ्लुएंजा और श्वसनतंत्र संबंधी रोगों से बचने में हमारे शरीर की सहायता करता है। पिछले दिनों असम स्थित चाय अनुसंधान ने भी दावा किया है कि काली पत्तियों से तैयार लाल चाय (Black Tea) हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।
अपने 24 अप्रैल के एडिशन में हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया था कि कोरोना महामारी के बीच आसाम टी-इंडस्ट्री चीन में अपने व्यापार के बढ़ने की बड़ी संभावना के रूप में देख रही है। हालांकि कोरोना के शुरुआती दौर में इस इंडस्ट्री को काफी घाटा उठाना पड़ा था। लेकिन अब स्थितियां एकदम उलट रही हैं।
आयुष मंत्रालय की मान्यता
-कोरोना वायरस से बचने के लिए अपने शरीर की इम्युनिटी बढ़ाना जरूरी है। समय-समय पर आयुष मंत्रालय द्वारा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय जनहित में जारी किए जा रहे हैं। ताकि बड़ी संख्या में लोग इनका फायदा उठा सकें।
-अपने सुझावों में आयुष मंत्रालय ने भी काढ़ा, तुलसी की चाय, गर्म पानी का सेवन जैसे घरेलु उपायों को जनता के साथ साझा किया है। यदि नियमित रूप से सीमित मात्रा में इस लाल चाय का उपयोग किया जाए तो सांस से संबंधित बीमारी जल्दी से हम पर अटैक नहीं कर पाती है। ध्यान रहे कि कोरोना भी सबसे पहले हमारे श्वसनतंत्र पर ही हमला करता है।
खास है यह बात
-आपको यह बात जानकर हैरानी हो सकती है कि चायना बड़ी मात्रा में ग्रीन-टी का उत्पादन करता है। जबकि इंडिया में काली चाय का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
-ग्रीन टी में दूध का उपयोग नहीं किया जाता है लेकिन काली चाय को दूध डालकर तैयार किए जाने पर यह हल्के लाल रंग की हो जाती है, इस कारण इसे लाल चाय भी कहते हैं। स्टडीज में सामने आया है कि लाल चाय शरीर को सूजन, फ्लू और फेफड़ों और श्वसनतंत्र को वायरस और बैक्टीरिया से बचाती है।