बिहार के नालंदा-नवादा से जुड़े यूपी पुलिस भर्ती में गड़बड़ी के तार 

बिहार 
उत्तर प्रदेश की पुलिस भर्ती परीक्षा-2018 में हुई गड़बड़ी का तार नालंदा-नवादा से जुड़ गया है। सोमवार की अहले सुबह बिहारशरीफ के आनंद पथ मोहल्ले से राजेश कुमार को पुलिस ने दबोचा। लेकिन, अब भी इसके सरगना की तलाश की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि सरगना नवादा जिले के नारदीगंज का रहने वाला है।

गिरफ्तार राजेश गिरियक थाना क्षेत्र के मुस्तफापुर निवासी सुरेश प्रसाद का पुत्र है। वह कई साल से आनंद पथ मोहल्ले में शिक्षक सतीश कुमार के घर में किराये पर रहता था। इसको दबोचने के लिए वाराणसी कैंट थाने के दारोगा अशोक सिंह अपने दल-बल के साथ तीन दिनों से बिहारशरीफ आये हुए थे। रामचंद्रपुर के होटल में रहकर उनलोगों ने तीन दिन तक राजेश की रेकी की। आखिरकार, सोमवार की अहले सुबह उसे उसके आवास से दबोचा गया।

बताया गया कि सिपाही भर्ती परीक्षा के लिए राजेश ने यूपी के 14 आवेदकों को पटना व अन्य जगहों से स्कॉलर (मुन्नाभाई) उपलब्ध कराकर उन्हें पास कराया था। राजेश का नाम जांच के क्रम में सामने आया। इस पूरे गिरोह में शामिल आवेदकों और पकड़े गये स्कॉलर गैंग के सदस्यों से पूछताछ के बाद मामले का भंडाफोड़ हुआ था। राजेश को यूपी पुलिस अपने साथ वाराणसी ले गई है। मामले की तहकीकात कर रहे कैंट एएससपी मो. मुश्ताक ने बताया कि इस गैंग में शामिल कई अन्य बड़े शातिरों की तलाश चल रही है।

पुलिस भर्ती परीक्षा में पास हुए पूर्वांचल के अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन दिसंबर में वाराणसी पुलिस लाइन में चल रहा था। पुलिस को पहले से ही जानकारी थी कि इस भर्ती में स्कॉलर गैंग के जरिये कई आवेदक परीक्षा पास कर यहां वेरीफिकेशन के लिए पहुंचे हुए हैं। 14 दिसंबर को पुलिस लाइन में वेरीफिकेशन के दौरान आजमगढ़ के विवेक यादव पर आशंका हुई। जब उसके अंगूठे की जांच की गई तो रबर की झिल्ली मिली। इस झिल्ली पर उस स्कॉलर के अंगूठे के निशान थे। इसके बाद इस पूरे गैंग की एक-एक परत खुलती चली गई। बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन करने के लिए नामित टीसीएस कंपनी के कर्मचारियों को अपने साथ मिलाकर पुलिस भर्ती की अंतिम प्रक्रिया पूरी कराने तक डील थी।

परीक्षा में पास कराने से लेकर वेरीफिकेशन तक की डील ढाई लाख में
पुलिस भर्ती परीक्षा में स्कॉलर गैंग ने ढाई लाख रुपये में आवेदकों से डील की थी। बायोमेट्रिक वेरीफिकेशन में पास कराने के लिए टीसीएस कर्मियों को शामिल किया गया। इनकी भूमिका पुलिस लाइन में अपने कंडीडेट के फिंगरप्रिंट का वेरीफिकेशन कर देना। उन्हें पता होता था कि उक्त कंडीडेट के अंगूठे में स्कॉलर गैंग के अंगूठे के निशान हैं। यही नहीं इन कंडीडेट की जगह तस्वीरें भी परीक्षा में बैठे स्कॉलर की होती थी। इसके लिए टीसीएसकर्मी किसी होटल में स्कॉलर की तस्वीर लेते थे और इसके बाद उसे पहले से ही अपलोड कर लेते थे। ताकि, पुलिस लाइन में आवेदकों की तस्वीर की जगह स्कॉलर की तस्वीर लगाकर वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी की जा सके।

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