आर्टिकल 370 हटने के बाद आतंकी घुसपैठ रोकने के लिए भारतीय सेना ने LoC पर बढ़ाए सैनिक

नई दिल्ली
कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने से बौखलाया पाकिस्तान लगातार सीमापार से आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की घुसपैठ से निपटने के लिए भारतीय सेना ने भी कमर कस ली है। भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ को रोकने के लिए पिछले दो महीनों में अधिक से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। बता दें कि 5 अगस्त को केंद्र सरकार के फैसले के जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले बाद से ही आतंकवादी घाटी में आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं। यह जानकारी सेना के सबसे शीर्ष कमांडरों में से एक ने दी। 

उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के आर्टिकल 370 को प्रभावी ढंग से खत्म करने के सरकार के कदम पर थोड़ा गुस्सा है मगर पाकिस्तान आतंकी तंत्र को फिर से जिंदा करने की पूरी कोशिश कर रहा था ताकि सीमा के इलाकों को अस्थिर किया जा सके। बता दें कि केंद्र सरकार के इस कदम से जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभक्त हो गया- कश्मीर और लद्दाख।

उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर पर जब से केंद्र सरकार ने फैसला लिया है, तब से ही पाकिस्तानी सेना द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन के साथ घुसपैठ की कोशिशें लगभग हर दिन हो रही हैं। 

जनरल रणबीर सिंह ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि हम एलओसी पर घुसपैठ को रोकने और उसका मजबूती से मुकाबला करने के लिए उत्तरी कमान के बाहर से अतिरिक्त सैनिकों को लाए हैं। सैनिकों को उन पॉकेटों से भी लाया गया है जहां आतंक को निष्क्रिय कर दिया गया है और उन्हें आगे के स्थानों पर भेज दिया गया है। हमने घुसपैठ के अधिकांश प्रयासों को रद्द कर दिया है।

हालांकि, उत्तरी सेना के कमांडर ने ऑपरेशनल कारणों का हवाला देते हुए सैनिकों की पुन: तैनाती को लेकर ज्यादा कुछ बताने से इनकार कर दिया। मगर इस घटनाक्रम से परिचित दो अधिकारियों ने कहा कि एलओसी पर कुछ हजार की संख्या में सेना की तैनाती की गई है।  सेना की संख्या कुछ हजार थी।

गौरतलब है कि इस साल पाकिस्तान द्वारा सीमा उल्लंघन की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल 10 अक्टूबर तक 2,317 उल्लंघन हुए हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 1,629 और 2017 में 860 थी। पाकिस्तानी सेना एलओसी पर संघर्ष विराम उल्लंघन की करती रही है, ताकि जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों की मदद की जा सके और आतंकी हमले किए जा सकें। यही वजह है कि इस तरह के घुसपैठियों ने हाल ही में उरी, पठानकोट और नगरोटा में आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया है।

सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने 11 अक्टूबर को कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नियंत्रण रेखा के समीप विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में 500 से अधिक आतंकवादी जम्मू कश्मीर में घुस जाने के अवसर की फिराक में बैठे हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि 200 से 300 आतंकवादी पाकिस्तान के सहयोग से इस क्षेत्र को अशांत बनाये रखने के लिए जम्मू कश्मीर के अंदर सक्रिय हैं।

सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा था, ''जहां तक जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की बात है तो बाहर से आये 200-300 आतंकवादी अपने काम में लगे हुए हैं।" उन्होंने कहा था, '' इसी तरह, करीब 500 पीओके में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में डेरा डाले हुए हैं और जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए तैयार बैठे हैं।" उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के हिसाब से यह संख्या घटती बढ़ती रहती है। सिंह ने कहा था, '' उनकी संख्या भले जो भी हो, हम उन्हें रोकने और उनका सफाया करने में सक्षम हैं ताकि इस क्षेत्र में शांति एवं सामान्य स्थिति बनी रहे।"

सैन्य कमांडर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांति एवं सामान्य स्थिति सुनिश्चित करना सेना का सदैव प्रयास रहा है। उन्होंने कहा, ''लेकिन पाकिस्तान यहां शांति बिगाड़ने के लिए कुचेष्टा करता रहता है। आज भी पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी ढांचा चल रहा है। उनमें आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर और देश में घुसपैठ कराने के लिए उनके लांचिंग पैड शामिल हैं।"

जब सिंह से पाकिस्तान द्वारा पंजाब में ड्रोन के माध्यम से हथियार गिराने के मुद्दे पर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को हथियार से लैस रखने के लिए ड्रोनों की तैनाती पाकिस्तान का नया तरीका है। उन्होंने कहा, ''लेकिन मैं आपको सुनिश्चित करना चाहता हूं कि भारतीय सेना पाकिस्तान के किसी भी नापाक मंसूबे को विफल करने में सक्षम और कृतसंकल्प है। उनके मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।"

सेना के शीर्ष कमांडर मौजूदा समय में उभर रही सुरक्षा एवं प्रशासनिक चुनौतियों और बल के भविष्य की रणनीति पर आज से मंथन शुरू करेंगे। सेना के कमांडरों का सम्मेलन 14 से 19 अक्टूबर के बीच नयी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। साल में दो बार अप्रैल और अक्टूबर में शीर्ष स्तर पर चर्चा के लिए सेना के कमांडरों की बैठक होती है। सम्मेलन की शुरुआत 14 अक्टूबर को सेना प्रमुख बिपिन रावत के संबोधन के साथ होगी। सम्मेलन में समसामयिक मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके अलावा रक्षा साजो सामान की प्रदर्शनी भी रक्षा उद्योगों द्वारा लगाई जाएगी। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *