आतंकवादी संगठनों से जुड़ रहे माओवादियों के तार, बस्तर में सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी

रायपुर 
कुछ दिनों पहले बिहार के रजौली में माओवादियों के पास से पाकिस्तानी मेड गोलियां मिली है. इसके बाद से पाकिस्तान और नक्सली कनेक्शन की चर्चा सुरक्षा एजेसियों और नक्सल एक्पर्ट के चिंता का विषय बन गयी है. बिहार से पहले बस्तर में पाकिस्तान आर्डिनेंस फैक्ट्री में जर्मन तकनीक से बनी अत्याधुनिक बदूंक जी-3 आइल्ट राईफल मिलने की बात सामने आ रही है. हालांकि इन राइफलों के बारें में बस्तर पुलिस जांच की बात कहकर चुप्पी साधे हुए है लेकिन पाकिस्तानी मेडेट राईफलों और गोलाबारूद के मिलने की खबरों ने जहां सुरक्षा एजेसियों के कान खड़े कर दिए है तो वहीं नक्सल मामलों के जानकार आने वाले समय के लिए इसे एक भंयकर खतरा बता रहे है.

पाकिस्तान मेड हथियारों ने सुरक्षा एजेसियों की चिंता दी है. माओवादियों के पास से लगातार पाकिस्तान में बने हथियार मिलने की खबर आ रही है. बिहार में माओवादियों के पास से मिली पाकिस्तानी गोलियां गंभीर संकेत दे रहे है. कुछ समय पहले बिहार राजौली में माओवादियों के पास से मिली पाकिस्तानी मेड गोलियां ने एक बार फिर ये जता दिया हैं कि माओवादियों का कनेक्शन आतंकवादी ताकतों से मजबूत हो रहा है. इससे पहले बस्तर में पाकिस्तान आर्डिनेंस फैक्ट्री में जर्मन तकनीक से बनी अत्याधुनिक बदूक जी- 3 आइल्ट राईफल के मिलने पर भी ये राज खुले था.

सुकमा के पुटटेपाड और तारीगुडेम मुठभेड के बाद मिली जी-3 राईफल के मामले में बस्तर की सुरक्षा एजेसियों ने जांच तेज कर दी है. नक्सल मामलों से जुडे जानकार मनीष गुप्ता की मानें तो इससे पहले चाइना मेउेट गोलाबारूद और असलहा जब तब माओवादियों से मिलते रहे है. इससे इस बात की पुष्टि होती रही है कि माओवादियों का विदेशों ताकतों से हाथ मिलाने का सिलसिला जारी है. हाल ही में बस्तर सहित दूसरे राजयों में माओवादियों के पास जो जिन हथियारों की बरामदगी हुई है उससे साफ है कि माओवादियों के कनेक्शन अब आतंकवादी ताकतों से बढ़ते जा रहे है.

आतंकवादी संगठनों से मेलजोल की बाते भले ही अब तक प्रदेश की सुरक्षा एजेसियां स्पष्ट तौर पर स्वीकार नहीं कर रही हो. लेकिन जानकारों की मानें तो कुछ समय पहले आन्ध्रप्रदेश की खुफिया एजेसियों को एक वीडियों सीडी मिली है. इस वीडियों में माओवादियों के पहली से लेकर पाचवीं कांग्रेस की बेठक के वीडियों फुटेज दिखाऐं गए है. वीडियों में फिलीफीसं, बर्मा और नेपाल जैसे देशों के माओवादी नेता बैठक को संबोधित करते हुए दिखाई दिए है.

चार दशकों से बस्तर में तेजी से पैर पसार रहा माओवादी भले ही कुछ समय के लिए बैकफुट पर जाकर सरकारों को राहत की जुबान बोलने का मौका दे देता हो. लेकिन सच्चाई यही हैं कि लाल आतंक की ये ताकत धीरे-धीरे अब अपने खतरनाक मंसूबे आतंकवादी ताकतों से हाथ मिलाकर पाल रही है. नक्सल मामलों के जानकार इसे आने वाले समय के लिए एक गंभीर खतरा मान रहे है.

सूत्र बता रहे हैं कि माओवादियों के पास जो बदूंके पहुंची है वे उल्फा संगठन ने दी है. दरअसल पाकिस्तान में जमर्नी हथियार बनाने वाली कम्पनी हेकलर एंड कोच 3 फैक्ट्रियां चला रही है. इसके नेपाल के रास्ते असम के उल्फा उग्रवादी के पास पहुंची और 2010 में जब माओवादी इनके सम्पर्क में आए तब ये माओवादियों के हाथों में पहुंची. बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा के मुताबिक दूसरे राज्य झारखंड में हुई मुठभेड के बाद जो हथियार पकड़े गए हैं वे पाकिस्तान में बने थे. ऐसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता हैं कि कही न कहीं माओवादियों के तार आतंकवादी संगठनों से जुडे है.

आईजी विवेकानंद सिन्हा का मानना हैं कि पुलिस तब तक अधिकत रूप से पुष्टि नहीं कर सकती है जब तक की इनकी जांच न हो जाए. फॉरेसिंक एक्सपर्ट और सुरक्षा से जुड़े आला अधिकारी ही इस बात की पुष्टि कर सकते है कि ये विदेशी हथियार कैसे और किस माध्यम से माओवादियों तक पहुंच रहे है.

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