आखिर कैसे स्मार्ट सिटी बनेगा रायपुर, 6 महीने से शुरू ही नहीं हुए ये ”ड्रीम प्रोजेक्ट”

रायपुर
राजधानी रायपुर (Raipur) की 6 जगहों पर 2 करोड़ 60 लाख की लागत से ई-टॉयलेट का निर्माण करवाया गया है. 6 महीने से टॉयलेट बनकर तैयार है, लेकिन अब मामला सिक्कों में आकर उलझ गया है. नगर निगम में इसी बात को लेकर माथापच्ची चल रही है कि आखिर ई-टॉयलेट में कौन सा सिक्का चलेगा. हालत ये है कि इन ई-टॉयलेट (E-toilet) के दरवाजे पिछले 6 महीने से बंद है. मालूम हो कि ये ई-टॉयलेट जनसुविधाओं के लिए बनाया गया था. अंबेडकर अस्पताल के पास बने ये ई-टॉयलेट का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है.

रायपुर में बने ई-टॉयलेट्स के दरवाजे पिछले 6 महीनों से बंद है. पहले बायोवेस्ट (Biowaste) को लेकर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड और ठेका कंपनी के बाद विवाद चला. अब जब ये विवाद सुलझा तब ई-टॉयलेट का मामला सिक्कों में आकर अटक गया है. अब सवाल ये है कि दरवाजा खुलागा तो कितने के सिक्के से एक, दो या फिर पांच रुपए. हालांकि इन सब सिक्कों के इस्तेमाल के बाद भी इस टॉयलेट का दरवाजा नहीं खुला.

रायपुर नगर निगम कमिश्नर खुद इस बात को स्वीकारते है. कमिश्नर शिव अनंत तायल का कहना है कि 32 ई-टॉयलेट तैयार हो गए है, निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है. टेस्टिंग जल्द की जाएगी. सिक्के को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन हो रहा है. जल्द व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी. वहीं महापौर प्रमोद दुबे का कहना है कि फिलहाल बायो टॉयलेट को लेकर टेस्टिंग चल रही है. शायद दो और पांच रुपए के सिक्के की टेस्टिंग हो रही है. लगभग एक सप्ताह के अंदर काम पूरा हो जाएगा और  ई-टॉयलेट्स को शुरू कर दिया जाएगा.

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