अरुण जेटली का दूसरे दलों पर हमला, झूठ की बुनियाद पर विरोध की मजबूरी

नई दिल्ली            
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस समेत अन्य दलों के वंशवाद को लेकर तीखा हमला बोला है. उन्होंने अपने लेख में कहा कि भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में कुछ लोगों का मानना है कि सत्ता पर काबिज होना सिर्फ उनका जन्म सिद्ध अधिकार है. ऐसे लोग भी हैं, जो किसी भी सत्ता में प्रभावशाली भूमिका पा लेते हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो वामपंथी और चरमपंथी विचारधारा के अनुयायी हैं और ऐसे लोगों को केन्द्र की मौजूदा सरकार मंजूर नहीं है. इन सबके सामन्जस्य से देश की राजनीति में एक नया वर्ग खड़ा होता है जिसके लिए विरोध अथवा आलोचना करना एक अनिवार्यता है.

जेटली ने कहा कि इन आलोचकों का मानना है कि मौजूदा सरकार कुछ भी अच्छा नहीं कर सकती है. लिहाजा इसके सभी फैसलों की आलोचना करने की अनिवार्यता है. इन्हें आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को शिक्षा और नौकरी में दिए गए 10 फीसदी आरक्षण में खामी दिखती है. विडंबना देखिए कि गरीब तबके के लिए किया जा रहा प्रावधान को वामपंथी दल रोक रहे हैं. कालेधन पर लगाम लगाने की कवायद को टैक्स आतंकवाद की संज्ञा दी जा रही है. आधार को स्थापित कर जहां गरीबों को जाने वाले पैसे से चोरी रोकने की कवायद हो रही है तो यह वर्ग उसे निजी स्वतंत्रता से जोड़कर आलोचना कर रही है.

वहीं देश को तोड़ने का नारा लगाने वालों के मौलिक अधिकार की बात की जा रही है और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे संवेदनशील कदम पर सवाल खड़ा किया जा रहा है. जाहिर है कि मौजूदा सरकार की आलोचना की अनिवार्यता के चलते ये वर्ग झूठ का निर्माण करने से भी परहेज नहीं रखता. यह वर्ग अपने निर्मित तर्क से सामान्य हित को भी गलत ठहरा रहा है. जानें इनकी इस दोगली राजनीति के कुछ नमूने.

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