राज ठाकरे के घर शादी पर क्या नए सियासी रिश्ते भी बनेंगे?

मुंबई
महाराष्ट्र के राजनीतिक घरानों में सबसे चर्चित ठाकरे परिवार में शहनाई बजने वाली है। 27 जनवरी को मुंबई में राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे की शादी है। राज ठाकरे अपने बेटे की शादी वैसे तो गैर राजनीतिक परिवार में कर रहे हैं, लेकिन शादी के बहाने आगामी चुनावों के लिए सियासी समीकरण साधने की कोशिश जरूर हो रही है। 

खबर है कि राज ने शादी में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी न्योता भेजा है और अपने चचेरे भाई शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को न्योता देने खुद उनके घर गए थे। हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को अभी तक कार्ड न पहुंचने की खासी चर्चा हो रही है। 

शादी, सियासत और सवाल 
सवाल यह है कि क्या मोदी और शाह को न्योता न देकर राज ठाकरे मोदी विरोधी गठबंधन को कोई खास संदेश देना चाहते हैं? सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इन दिनों राज ठाकरे खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे हैं। मोदी के विरोध के लिए ही उन्होंने वापस कार्टून बनाना शुरू किया है और आए दिन उनकी कलम और जुबान मोदी-शाह और बीजेपी के खिलाफ आलोचना उगल रही है। वह पिछले दिनों सार्वजनिक रूप से मोदी मुक्त भारत का ऐलान भी कर चुके हैं। 

वहीं महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी गठबंधन बनाने की प्रक्रिया चल रही है। एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन तय माना जा रहा है लेकिन एनसीपी चीफ शरद पवार बीजेपी विरोधी दलों को जोड़कर महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस संबंध में वह राज ठाकरे से भी मिल चुके हैं। हालांकि कांग्रेस, राज ठाकरे को महागठबंधन में शामिल करने को लेकर फिलहाल सहज नहीं है। कहा जा रहा है कि राहुल और सोनिया को बेटे की शादी का न्योता भेजकर राज ठाकरे ने अपनी ओर से एक कदम बढ़ाया है। हालांकि राज ठाकरे की छवि के चलते कांग्रेस के लिए उन्हें स्वीकारना मुश्किल होगा। 

पवार का गणित 
शरद पवार राज ठाकरे को महागठबंधन में शामिल कर मराठी वोटों का ध्रुवीकरण और शिवसेना को काउंटर करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि पवार यह जानते हैं कि राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) सीटों के लिहाज से भले ही बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर पाए, लेकिन बीजेपी और शिवसेना के वोट काट सकती है। वहीं हिंदी भाषियों में राज ठाकरे को लेकर गुस्सा है, इसलिए कांग्रेस उन्हें महागठबंधन में लेने से हिचक रही है। हालांकि लोगों के इस गुस्से को कम करने की कोशिश राज ठाकरे पिछले दिनों कर चुके हैं। 

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