अमेरिका ने चीन के BRI जैसे कई प्रोजेक्ट को राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया

नई दिल्ली            
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन के बारे में बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि दुनिया के कई देशों में चलाए जा रहे चीन के BRI और अन्य प्रोजेक्ट अर्थव्यवस्था की भलाई से ज्यादा उन देशों की 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा' साबित हो सकते हैं.

गौरतलब है कि बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) चीन का अरबों डॉलर का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसमें पाकिस्तान जैसे कई अन्य देशों को भी जोड़ा जा रहा है. इसे वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) पहल भी कहते हैं. चीन का दावा है कि इससे एशिया, अफ्रीका, चीन और यूरोप के देशों के बीच संपर्क तथा सहयोग बढ़ेगा.

पोम्पियो ने गुरुवार को वाशिंगटन में कहा कि चीन अमेरिका, उसके दोस्तों और सहयोगियों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहा है. पोम्पियो ने नेशनल रीव्यू इंस्टीट्यूट 2019 आइडिया समिट में कहा, 'वे साउथ चाइना सी में इसलिए नहीं आगे बढ़ रहे कि उनको आवाजाही की आजादी चाहिए. दुनिया भर में वे बंदरगाह इसलिए नहीं बनाना चाहते कि वे अच्छे जहाज बना सकें और जलमार्गों का प्रबंधन कर सकें, लेकिन लेकिन वे अपने हर कदम से राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा पैदा कर रहे हैं. उनका बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) भी कुछ अलग नहीं है.'

पोम्पियो ने कहा, 'हम जहां भी जाते हैं, यह बात कहते हैं. आप हमारे किसी भी राजदूत से बात करें तो वे आपको यही कहेंगे कि हम कानून के शासन के तहत निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से दुनिया में कहीं भी चीनियों से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.'

उन्होंने कहा, 'जब आप बाजार से कम कीमत पर चीजें देते हैं या ऐसा कुछ करते हैं जिससे आप कुछ समय के लिए किसी देश को हिला दें, खासकर कर्ज जैसी नीतियों से तो मैं समझता हूं कि हम पूरी लगन से दुनिया को यह बताते रहेंगे कि वे इस खतरे को समझें.'  

गौरतलब है कि भारत पहले से ही BRI के तहत बनने वाले चाइना-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) को खतरा बताता रहा है, क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है. करीब 3000 किमी लंबे सीपीईसी का लक्ष्य चीन और पाकिस्तान को रेल, सड़क, पाइपलाइन तथा फाइबर केबल नेटवर्क से जोड़ने का लक्ष्य है.

पोम्पियो ने कहा, 'दुनिया इस खतरे के प्रति जागरूक हो रही है. मैं समझता हूं कि खासकर एशिया और दक्षिणपूर्व एशिया इस जोखिम के प्रति जागरूक हो रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि विदेश मंत्रालय इस बात के लिए लगातार प्रयास करेगा कि इसकी पहचान की जाए और चीन के लिए ऐसे दस्तूर जारी रखने को कठिन से कठिन बनाया जाए.

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