अब अशोक गहलोत और कमलनाथ ने की इस्तीफों पेशकश, फिर भी नहीं माने राहुल गांधी

नई दिल्ली
कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को अपने इस्तीफे पर अड़े पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. लगभग 2 घंटे तक चली मुलाकात में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की. इसके बाद भी राहुल पार्टी की बागडोर संभाले रहने के लिए राजी नहीं हुए.

मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राहुल को पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत करा दिया है. उन्होंने कहा कि हमने वर्तमान परिस्थितियों पर खुलकर बात की. हमने कहा कि चुनाव में हार-जीत होती रहती है. उन्होंने हमारी बात को बहुत ध्यान से सुना. हमने अपनी बात दिल से कही है. राजस्थान के मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि राहुल गांधी उनकी बातों पर विचार करेंगे.

अशोक गहलोत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में राहुल गांधी का संदेश है कि चुनाव में मुद्दों पर राजनीति हो, नीतियों और कार्यक्रमों पर बात हो. उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ देशभक्ति के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुमराह करने की, सेना के पीछे छिप के राजनीति की. लोगों को धर्म के नाम पर गुमराह किया. वह विकास, अर्थव्यवस्था और रोजगार के मुद्दों पर बात नहीं कर सकते.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था. राहुल ने कहा था कि उन्हें इस बात का दुःख है कि इस हार के बावजूद पार्टी के किसी भी मुख्यमंत्री या नेता ने जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया. राहुल ने गांधी परिवार के बाहर से किसी नेता को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की बात कही थी. काफी मान-मनौव्वल के बाद भी राहुल नहीं माने और अपने इस्तीफे पर अड़े रहे.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था. राहुल ने कहा था कि उन्हें इस बात का दुःख है कि इस हार के बावजूद पार्टी के किसी भी मुख्यमंत्री या नेता ने जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया. राहुल ने गांधी परिवार के बाहर से किसी नेता को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की बात कही थी. काफी मान-मनौव्वल के बाद भी राहुल नहीं माने और अपने इस्तीफे पर अड़े रहे.

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