भिंड-दतिया संसदीय सीट: तीन दशकों से जीत के लिए तरस रही कांग्रेस

ग्वालियर
भिंड-दतिया संसदीय सीट पर भी चुनावी सेनाएं सज चुकी हैं। विगत तीन दशकों से इस सीट पर जीत के लिए तरस रही कांग्रेस पूरी ताकत से मुकाबले के लिए तैयार है। वहीं भाजपा भी अपने इस अभेद्य दुर्ग को बचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। भिंड को हमेशा की तरह इस बार भी बाहरी यानि पड़ौसी जिलों से आए प्रत्याशी मिले हैं। भाजपा की प्रत्याशी संध्या राय मुरैना से आती हैं तो कांग्रेस के जवांसाल देवाशीष जरारिया ग्वालियर से हैं। एक तरफ से भिंड के लिए दोनों ही प्रत्याशी नए हैं। भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद का टिकट काटकर संध्या को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस के देवाशीष दिल्ली की छात्र राजनीति में चमककर भिंड पहुंचे हैं।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को चुनावी वैतरणी पार करने के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों से संघर्ष करने के साथ अपनों को ही मनाना व समझाना पड़ रहा है। टिकट कटने से डॉ. भागीरथ प्रसाद कोप भवन में हैं तो टिकट की चाहत रखने वाले अशोक अर्गल भी नाराज हैं, हालांकि भिंड की वीथिकाओं में इन दोनों का भी खूब विरोध रहा है। उधर देवाशीष, जो भिंड की सियासत में एकदम नए हैं, का भी विरोध है। टिकट की दावेदारी कर रहे बाकी लोग दबी जुबान से उनकी मुखालिफत कर रहे हैं। उन्हें 2 अप्रैल के एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में हुए दंगों से जोड़कर देखा जा रहा है। देवाशीष को भी इस मामले में सफाई देनी पड़ रही है। उनका ज्यादातर वक्त इसी में जाया हो रहा है।  इस सीट पर बसपा के बाबू लाल जामौर जो कि मूलत: भिंड के हैं के आ जाने से मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है।

भाजपा प्रत्याशी संध्या राय कहती हैं कि उनकी पार्टी ने सबका साथ सबका विकास नारे को साकार किया है। केंद्र की आयुष्मान भारत योजना में गरीबों को लाखों इलाज मुफ्त में मिल रहा है तो लाखों लोगों को आवास मुहैया कराए गए हैं। उज्ज्वला योजना के तहत महिलाएं आज गैस पर खाना पका रही हैं। मोदी सरकार ने लोगों का जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए काम किया है। वहीं 15 सालों तक शिवराज जी ने बेहतर काम किए। हम इन्हीं कामों की बदौलत जनता के बीच में हैं। जनता का हमें पूरा स्नेह मिल रहा है। भाजपा समाज में समरसता के साथ कार्य करते हुए एक बार फिर सफल होगी।

कांग्रेस प्रत्याशी देवाशीष जरारिया का कहना है कि भाजपा के 15 वर्षों के शासन काल में युवा ठगे गए। लाखों की तादाद में युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। किसानों को भी न्याय नहीं मिला। वे व्यथित हैं। भाजपा सरकार पूरी तरह नाकाम रही। भिंड का युवा रोजगार की समस्या से जूझ रहा है। हम इन्हीं गंभीर मुद्दों को लेकर जनता के बीच में हैं। कांग्रेस ने वादे के अनुरूप सरकार बनते ही किसानों की कर्ज माफी की। मेरा प्रयास होगा कि विकास की मुख्यधारा से हम भिंड विकास की राह पर दौड़ें औ्र यहां के युवा विकास की नई इबारत लिखेंगे। इसकी पूरी उम्मीद है।

कांग्रेस को भिण्ड सीट पर आमचुनाव में आखिरी बार पेंतीस वर्ष पूर्व 1984 में जीत मिली थी, इसके बाद हुए प्रत्येक चुनाव में पार्टी हारती ही रही है। 89, 96 एवं 98 के आमचुनावों में तो कांग्रेस तीसरे नम्बर पर खिसक गई थी और मुख्य मुकाबला भाजपा व बसपा के बीच हुआ था। वैसे इस सीट पर कांग्रेस का चुनावी इतिहास कोई उपलब्धिपूर्ण नहीं रहा है। सन 62 में इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यहां 14 चुनाव हुए हैं जिसमें कांग्रेस सिर्फ 3 बार ही जीत सकी है, यहां 10 बार भाजपा-जनसंघ जीती तो एक बार लोकदल जीता।
 

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