अपर्णा का टिकट कटा , आजम पर मेहरबानी

लखनऊ

उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर चुनावी बिगुल बज चुका है, जिसे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. यही वजह है कि बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा सहित तमाम राजनीतिक दलों ने ताल ठोक दी है. ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी उपचुनाव में भी जीत का सिलसिला बरकरार रखती है या फिर विपक्षी दल दमदार वापसी करते हैं.

सूबे में हो रहे उपचुनाव के जरिए अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव हरसंभव कोशिश में जुटे हैं, लेकिन उन्होंने इस बार अपने भाई की पत्नी अपर्णा यादव को नजरअंदाज कर दिया है. जबकि रामपुर सीट पर सपा के गढ़ को बचाने के लिए आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा पर दांव लगाया है. ऐसे में सवाल उठता है कि मुलायम कुनबे में क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है?

अपर्णा यादव का टिकट कटा

समाजावदी पार्टी ने उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है. लखनऊ कैंट से पार्टी ने मेजर आशीष चतुर्वेदी को उतारा है. जबकि 2017 में लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव थीं लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया है. जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी यहां से चुनाव जीती थीं और अपर्णा यादव ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. वह दूसरे नंबर पर रही थीं. ऐसे में अपर्णा यादव को यहां से इस बार भी स्वभाविक दावेदार माना जा रहा था लेकिन पार्टी ने आशीष चतुर्वेदी पर दांव लगाया है.

चाचा-भतीजे के बीच सियासी संग्राम

दरअसल यादव परिवार में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव में काफी झगड़ा है. ऐसा मान जाता है कि परिवार के इस झगड़े में मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना यादव शिवपाल का साथ देती हैं. उनकी बहू अपर्णा यादव हालांकि अखिलेश यादव के खिलाफ खुलकर कभी कुछ नहीं बोलती हैं, लेकिन चाचा शिवपाल के लिए सॉफ्ट कार्नर रखती हैं. अपर्णा यादव लोकसभा चुनाव में संभल सीट से चुनावी मैदान में उतरने की राय जाहिर की थी लेकिन पार्टी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी थी और एक बार फिर उपचुनाव में भी टिकट काट दिया गया है.

रामपुर में आजम खान की इज्जत दांव पर

अखिलेश यादव ने रामपुर में आजम खान के दुर्ग को बचाने के लिए उनकी पत्नी तंजीम फातिमा को प्रत्याशी बनाया है. जबकि तंजीम फातिमा अभी राज्यसभा की सांसद हैं और उन्हें 2020 में रिटायर होना था. सपा रामपुर सीट पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. इसीलिए आखिरकार अखिलेश यादव ने भरोसा आजम खान परिवार पर ही किया.

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