हिसाब बराबर करने की जंग, एमपी में फिर आमने-सामने पुराने क्षत्रप

भोपाल 
मध्य प्रदेश लोकसभा के रण में तीन सीटें ऐसी हैं जहां पुराने खिलाड़ी फिर आमने सामने होंगे और अपनी हार का बदला लेने मैदान में उतरेंगे. एमपी के बदले समीकरणों में ये सीट इन दिनों चर्चा का विषय भी हैं. क्योंकि इन सीटों पर पुराने क्षत्रप फिर आमने सामने हैं. जहां एक और कांग्रेस के पास मौका है हार का बदला उतारने का तो बीजेपी फिर जीत दोहराने जान झोंक रही है.

दरअसल, एमपी की 29 सीटों में अब तक कांग्रेस 28 तो बीजेपी ने 24 क्षत्रपों को मैदान में उतार चुकी है जिनमें बीजेपी और कांग्रेस ने कई नए चेहरों को मैदान में उतारा है. शहडोल, देवास समेत कई सीटें ऐसी रही जहां दोनों पार्टियों ने नई प्रत्याशियों को मैदान में उतारा तो वहीं इस बार 3 सीटें ऐसी हैं जहां रण में फिर पुराने क्षत्रप आमने सामने है.

2014 में हार का मुहं देख चुके कांग्रेस के खिलाड़ी 2018 विधानसभा रिजल्ट को देख इस बार जीत को लेकर कॉन्फिडेंट नजर आ रहे हैं तो वहीं बीजेपी के प्रत्याशियों के सामने बदले समीकरण में जीत दोहराने की चुनौती है.

इन 3 सीटों की बात करें तो,

1- जबलपुर लोकसभा सीट
-बीजेपी राकेश सिंह Vs कांग्रेस विवेक तन्खा
-2014 में राकेश सिंह ने 2 लाख वोटों से दी ती विवेक तन्खा को शिकस्त
-लगातार तीन बार से सांसद रहे राकेश सिंह को महाकौशल में चुनौती
-विधानसभा रिजल्ट में इस बार जबलपुर सीट पर 8 में 4-4 सीटें पर बीजेपी-कांग्रेस बराबर है
-50-50 के विधानसभा नतीजों अब दोनों दिग्गज जान झोंक रहे हैं
-एक और राकेश सिंह पर अपनी सीट बचाने की जिम्मेदारी है तो विवेक तन्खा के पास बदला लेने का मौका
-चैंबर नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले विवेक तन्खा पर संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले राकेश सिंह पड़ सकते हैं भारी

2- खंडवा लोकसभा सीट
-बीजेपी नंदकुमार सिंह चौहान Vs कांग्रेस अरुण यादव
-2009 से ये दोनों आमने सामने हैं जहां मुकाबला फिलहाल ऑन वन का है
-2009 में अरुण यादव तो 2014 में नंदकुमार सिंह चौहान जीते,
-अब अरुण यादव के पास हिसाब बराबर करने का मौका
– खंडवा सीट पर नंदकुमार सिंह चौहान को भीतरघात का खतरा, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के विरोध से हो सकता है नुकसान

3- मंदसौर लोकसभा सीट
बीजेपी सुधीर गुप्ता Vs कांग्रेस मीनाक्षी नटराजन
-2009 में सांसद रही मीनाक्षी नटराजन को सुधीर गुप्ता ने मोदी लहर में 3 लाख वोटों से हराया
– मीनाक्षी ने 2009 लोकसभा में भेदा था बीजेपी का 30 साल का किला
– मौजूदा वक्त की बात करें तो भाजपा सांसद को लेकर अंदरुनी कलह से खतरा, मीनाक्षी नटराजन का भी नेताओं कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कम है
– मंदसौर सीट पर किसान गोलीकांड का मुद्दा जमकर गुंजा लेकिन बीजेपी को नुकसान नहीं
– मंदसौर सीट पर मोदी मैजिक नहीं चला तो जीत हार का अंतर हजारों में सिमट सकता है

2014 में मोदी लहर में बीजेपी के कब्जे में गई इन तीनों सीटों पर समीकरण बदले हैं. मुकाबला दिलचस्प है. बहरहाल 23 मई को तस्वीर साफ होगी की समीकरणों को साधने में कौन सी पार्टी सफल हो पायी है.

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