पुत्रदा एकादशी व्रत कल जानें व्रत का महत्व

पुत्रदा एकादशी व्रत कल जानें व्रत का महत्व

पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक पौष माह की शुक्ल पक्ष में और दूसरी सावन माह के शुक्ल पक्ष में। इस साल पौष माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।

इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मुख्य रूप से पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ऐसे में जो लोग नि:संतान हैं, उनको यह व्रत जरूर रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती।

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। विष्णुजी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। एक छोटी चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर विष्णुजी की प्रतिमा स्थापित करें। अब विष्णुजी को फल, फूल, धूप,दीप, अक्षत और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद उन्हें पंचामृत का भोग लगाएं। रात को दीपदान करें।

साथ ही एकादशी की सारी रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें और श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगें।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। विष्णुजी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। दिनभर व्रत रखें और विष्णुजी का स्मरण करें। अगले दिन द्वादशी तिथि में पुनः स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद स्वंय भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व:-

इस व्रत को करने से श्रीहरि विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई जातक इस व्रत को विधि पूर्वक करता है, तो जल्द ही उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए कार्य भी पूरे हो सकते हैं।