Women’s Day Special: 15 सालों से शराबबंदी अभियान चल रही हैं बालोद की ये महिला कमांडो

बालोद
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बालोद (Balod) जिला के कई गांवों में महिला कमांडो (Woman Commando) का गठन किया गया है, जो अपने गांव को नशा मुक्त (Drug free) करने और स्वच्छ रखने के प्रयास में जुटी हुई है. माना जाता है कि इन महिलाओं की कोशिश के चलते आज बालोद जिले के कई गांवों का वातावरण बेहतर हो गया है. बिना कुछ राशि या वेतन लिए ये महिला कमांडो नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं.

आंकड़ों पर नजर डाले तो बालोद जिला में कुल 421 ग्राम पंचायत सहित प्रदेश के करीब 11 जिलों में अब 45 हजार महिला कमांडो का गठन किया जा चूका है. इनमें से बालोद जिले के करीब 300 से अधिक गांवों में कुल 10  हजार से अधिक महिला कमांडो सक्रिय है, जो 2005 से लेकर आज तक शराबबंदी अभियान (Liquor Ban Campaign) को लेकर अपनी मुहीम के अलावा कमजोर वर्ग के लोगों के लिए बड़ी मददगार साबित हो रही हैं. यही नहीं अब ये महिला कमांडों आत्मनिर्भर बनने गृह उद्योग स्थापित कर स्वरोजगार (Self Employment) से जुड़ रही हैं.

दरअसल, बालोद जिले में महिला कमांडो का गठन साल 2005 में 100 महिलाों के साथ हुआ था. इन महिलाओं ने लगातार कई सालों तक सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ते हुए अपने संगठन को और मजबूत बनाने की दिशा में काम किया. इस बीच बालोद जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख द्वारा इन महिलाओ की कार्यशैली को देखते हुए इन्हें आगे बढ़ने लगातार प्रोत्सहित किया. जिले की महिला कमांडो लगातर सामाजिक बुराई के खिलाफ अपने आंदोलन को और तेज करती रहीं.

इस बीच महिला कमांडो ने जिले के 300 से अधिक गांवों में महिला कमांडो टीम का गठन किया. अब लगभग 10000 महिलाए इस टीम की सदस्य बन गई हैं. जन कल्याण समिति की अध्यक्ष पद्मश्री शमशाद बेगम का कहना है कि बिना पारिश्रामिक लिए ये महिलाएं काम कर रही हैं. शाम होते ही गांव में ये महिला कमांडो अपनी टीम के साथ अपने गांव का दौरे करती हैं और गांव में असामाजिक तत्वों पर नकेल कसती है.

महिला कमांडो प्रेमबती बाई और चंद्र रेखा का कहना है कि देर रात तक घूमने वालों को मना करते हैं. शराब पीने वालों को समझाइश दी जाती है. यही नहीं गांव के आसपास खुले में शौच करने वालों को भी मना किया जाता है. गांव-गांव में आज ये महिला कमांण्डो बेहद सक्रिय हो चुकी हैं. यही नहीं ये महिला अब अब खुद को को आत्मनिर्भर बनाने शासन की योजना के तहत आत्मनिर्भर बनने अपने गांव में कुटीर उद्योग लगाकर स्वरोजगार से जुड़ रही हैं.

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