TMC विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या मामले में मुकुल रॉय को अग्रिम जमानत

कोलकाता        
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कृष्णागंज विधानसभा से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता नेता मुकुल रॉय को अग्रिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने 26 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. अपने विधायक की गोली मारकर हत्या के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाए थे. जबकि हंसखाली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में मुकुल रॉय का भी नाम शामिल था, साथ ही दो अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई थी.

दरअसल 9 फरवरी को टीएमसी विधायक सत्यजीत बिस्वास अपनी पत्नी और 7 महीने के बेटे के साथ सरस्वती पूजा के कार्यक्रम में गए थे, जहां अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. विधायक की हत्या के बाद राज्य में राजनीति शुरू हो गई जब जेल मंत्री उज्जवल बिस्वास ने टीएमसी विधायक की हत्या के लिए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया. तो वहीं बीजेपी ने इस हत्या के पीछे टीएमसी की अंदरूनी कलह को जिम्मेदार ठहराते हुए सीबीआई जांच की मांग कर दी.

उधर विधायक की हत्या मामले में खुद दर्ज एफआईआर को बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने रविवार को कहा कि विधायक की हत्या की वजह टीएमसी की अंदरूनी लड़ाई हो सकती है. इसके बाद बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और टीएमसी कार्यकर्ताओं से अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की. बता दें कि मुकुल रॉय कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी हुआ करते थे लेकिन बाद में उनसे मतभेद होने के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

नदिया की कृष्णागंज सीट से टीएमसी विधायक सत्यजीत बिस्वास प्रभावशाली मटुआ समुदाय से ताल्लुक रखते थे. इस समुदाय की आबादी 30 लाख के करीब है और उत्तर व दक्षिण 24 परगना की 5 लोकसभा सीटों पर मटुआ बिरादरी का खासा प्रभाव है. पिछले कुछ दिनों में बीजेपी लगातार इस समुदाय को अपने खेमे में लाने का प्रयास कर रही है. हाल ही में पीएम मोदी 24 परगना के ठाकुरनगर में मटुआ समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

पश्चिम बंगाल में वाम दलों के जमाने से राजनीतिक हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. वाम दलों के बाद ममता सरकार पर भी बीजेपी लगातार अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा का आरोप लगाती रही है. लेकिन इस तरह की हिंसा में अक्सर छोटे कार्यकर्ता ही भेंट चढ़ते रहें, लेकिन किसी विधायक की हत्या नहीं हुई थी. हालांकि अभी टीएमसी विधायक की हत्या के पीछे की वजह पता नहीं चली है. लेकिन टीएमसी विधायक की हत्या ऐसे समय हुई है जब राज्य में पहले से ही बीजेपी और टीएमसी के बीच राजनीतिक तनाव बरकरार है. 

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