OMG! पबजी की लत छुड़ाने को लड़कियों ने किया ऐसा काम, जानकर रह जाएंगे हैरान

रायपुर
हाल ही में एक खबर आई थी कि कश्मीर में पहली बार प्रतिबंधित 'पबजी गेम' ने एक युवक की जान ले ली. मृतक की पहचान 19 वर्षीय आसिम बशीर पुत्र बशीर अहमद निवासी बागात कनीपोरा, श्रीनगर के रूप में हुई है. इसके पहले मध्‍यप्रदेश में एक सोलह वर्ष के बच्‍चे की भी मौत हो गई. बताया जा रहा था कि छह घंटे तक नॉनस्‍टॉप गेम खेलने से उसे दिल का दौरा पड़ गया है.  वैसे ये पहली बार नहीं है. इस तरह की तमाम खबरें लगातर सामने आ रही हैं, जहां इस गेम की लत मेंं जकड़े युवाओं को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं.

अब इन मुश्‍किलों में  एक राहत देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल रायपुर की कुछ छात्राओं ने पबजीगेम’ के खिलाफ एक अभियान छेड़ दिया है. इन छात्राओं ने ‘नो पबजी गेम' क्लब बनाया है, जिसमें इस खेल में जकड़े युवाओं की लत को छुड़ाया जा रहा है.

रायपुर के एक निजी स्कूल की छात्राओं ने 'नो पबजी गेम' क्लब बनाया है. इस क्लब में वे छात्राएं शामिल हैं, जो पहले पबजी गेम खेलती थीं या कभी न कभी उसकी आदी रही हैं. दैनिक भास्‍कर की खबर के मुताबिक क्लास 6वीं से लेकर 12वीं तक के ये बच्चे रोजाना हैंड बैंड लगाकर स्कूल आ रहे हैं, जिसमें नो पबजी गेम लिखा हुआ है. इस बैंड को पहने के बाद घरवालों के साथ आस-पड़ोस और दोस्त-रिश्तेदार भी उनसे पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों. बच्चे उन्हें इस अभियान के बारे में बताने के साथ इस गेम से हो रहे नुकसान को लेकर जानकारी देते हैं.

छात्राओं की मेहनत और इस अभियान की पहल अब रंग ला रही है. अब तक 40 से ज्‍यादा बच्‍चे इस गेम की लत से बाहर आ चुके हैं. वहीं अब ये बच्चियां इस रक्षाबंधन में अपने हाथ से नो पबजी गेम लिखे स्लोगन वाली राखी बनाकर उन्हें अपने भाईयों को बांधेंगी. वे उपहार में भी इस खेल को न खेलने की कसम लेंगी.

स्कूल की प्रिंसिपल नफीसा रंगवाला ने बताया कि इस पहल से जुड़ी अधिकतर बच्चियों ने खुद स्वीकार किया कि वे गर्मियों की छुटिट्यों में अपने बड़े भाई-बहन या अन्य दोस्तों को देखकर पबजी गेम खेलते थी. कुछ ने एक दिन तो कुछ ने 2 महीने यह गेम खेला. अब इस अभियान से जुड़ते हुए पहले तो खुद इस लत से बाहर निकले और अब अपने दूसरे बच्चों के साथ भाई-बहन को बाहर निकाल रहे हैं.

ऑनलइन गेम खेलना अब एक सामान्‍य आदत नहीं रही है ब्‍ल्‍कि अब धीरे-धीरे ये मानसिक रोग में तब्‍दील होता जा रहा है. इस बात की तस्‍दीक साल 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी की है. WHO के मुताबिक मोबाइल ऑनलाइन गेम खेलने वाले आदी लोगों को मानसिक रोग की कैटेगरी में शामिल किया है, जिसे गेमिंग डिसऑर्डर कहा जाता है.

घंटों एक ही पोजिशन में बिना मूवमेंट के बैठने और आंखें गढ़ाए रखने से यह आई साइट को तो बुरी तरह प्रभावित करती ही है. इसके साथ-साथ गर्दन झुकाकर बैठे रहने से गर्दन दर्द, नींद नहीं आना,भूख की कमी, ड्रिपैशन,परिवार के साथ आपसी तालमेल की कमी, चिढ़चिढ़ापन जैसे लक्षण लोगों में देखने को मिलते हैं.

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