NRC, नागरिकता बिल के बाद अब AFSPA बना भाजपा के गले की हड्डी

 
नई दिल्ली        
    
भाजपा के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में इस समय तीन मुद्दे भारी पड़ते दिख रहे हैं. पहले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), इसके बाद नागरिकता संशोधन विधेयक और अब अफस्पा. भाजपा NRC के मुद्दे पर पूर्वोत्तर राज्यों का समर्थन हासिल कर चुकी थी कि इस बीच केंद्र को लगा कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के जरिए अवैध घुसपैठियों की परिभाषा गढ़ी जाए. बस यहीं से मामला गंभीर होता चला गया. बिहार से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में मौजूद एनडीए गठबंधन के दलों का विरोध सामने आने लगा. अब कांग्रेस अफस्पा में जरूरी बदलाव कर उसे लागू करने की बात कह रही है. यानी जिन मुद्दों पर भाजपा नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में मौजूद 25 लोकसभा सीटों पर कब्जा करना चाहती थी, अब वह विरोध की आंच में झुलसता दिख रहा है.

कुछ महीनों पहले भाजपा ने असम में NRC का मसौदा लाकर अवैध घुसपैठियों को बाहर खदेड़ने का रास्ता निकाला था. मामला पूरी तरह से बांग्लादेश से आए मुसलमान घुसपैठियों पर भावनात्मक रूप से खेलने का था. इस मुद्दे पर नॉर्थ-ईस्ट के सभी राज्य भाजपा के समर्थन में भी आ गए थे. सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी केंद्र को लगा कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के जरिए अवैध घुसपैठियों की परिभाषा गढ़ी जाए. बस यहीं से बात बिगड़ती चली गई. लेकिन जिस तरह से चुनाव से ऐन पहले नागरिकता संशोधन विधेयक विरोध और स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (PRC) को लेकर अरुणाचल का माहौल तनावपूर्ण हुआ था. उससे भाजपा के जीत के मंसूबे कमजोर पड़ते दिख रहे हैं. उस पर गले की नई हड्डी बनता दिख रहा है अफस्पा.

NRC के जरिए बांग्लादेशी मुसलमान घुसपैठियों पर था निशाना

असम में NRC जारी होने के बाद अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहे पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में उनके राज्य में NRC लागू करने की मांग होने लगी थी. केंद्र में भाजपा सरकार को इसके लिए जबरदस्त समर्थन मिला. बांग्लादेश से आए मुस्लिम घुसपैठियों को सुरक्षा के लिए खतरा बता कर भाजपा इसे उठाती रही.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 क्या कहता है?

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के जरिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन कर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के अवैध घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. हालांकि इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में उत्पीड़न का शिकार मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है. इसके आलावा इस विधेयक में 11 साल तक लगातार भारत में रहने की शर्त को कम करते हुए 6 साल करने का भी प्रावधान है.

भाजपा के गले में क्यों फंसी हड्डी?

नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देता है तो NRC में ऐसा नहीं है. NRC के तहत 24, मार्च 1971 से भारत में अवैध रूप से रह रहे सभी धर्म के लोगों को चिंहित कर वापस भेजने की बात है. जबकि, नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, NRC के नियमों को पलट देता है, क्योंकि यह सभी गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने के उद्देश्य से लाया गया है. पूर्वोत्तर में एनडीए के सहयोगी इस विधेयक का विरोध इस लिए कर रहे हैं क्योंकि वे इसे अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई पहचान के साथ खिलवाड़ समझते हैं. एनडीए के घटक दलों की चिंता यह भी है कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने की बात करता है. जबकि NRC में तय समय सीमा के बाद भारत में अवैध तौर पर रह रहे सभी अवैध घुसपैठियों की पहचान कर वापस भेजने की बात है.

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