MY Hospital में फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं, मामला कोर्ट पहुंचा तो खुली प्रबंधन की नींद

इंदौर
सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में फायर सेफ्टी के इंतजाम तक नहीं हैं। 23 नवंबर 2017 को अस्पताल के एनआईसीयू में आग लगने से 47 नवजात की जान सांसत में पड़ गई थी। दो साल पहले इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई तो अस्पताल प्रबंधन की नींद खुली और फायर एनओसी के लिए आवेदन किया। सरकार ने भी ताबड़तोड़ फायर सेफ्टी के लिए एक करोड़ 68 लाख रुपए जारी कर दिए। कोर्ट ने भी 8 अप्रैल को आदेश दे दिया कि अस्पताल तीन महीने में फायर सेफ्टी के इंतजाम करे और जरूरी मशीनें आदि की खरीदारी कर ली। कोर्ट के आदेश के ड़ेढ महीने बाद भी न तो मशीनरी खरीदारी की प्रक्रिया शुरू हुई न आग से निबटने के इंतजाम हो सके।

कोर्ट के आदेश को लेकर सरकारी विभाग कितने गंभीर हैं यह इस जनहित याचिका से समझा जा सकता है। शासन की तरफ से कोर्ट में 8 अप्रैल 2019 को शपथ पत्र प्रस्तुत हुआ था। इसमें कहा है कि फायर सेफ्टी के इंतजाम और मशीनरी खरीदने के लिए पैसा जारी हो चुका है। जल्दी ही टेंडर जारी करेंगे। इस पर कोर्ट ने तीन महीने में आग से लड़ने के पुख्ता इंतजाम करने के आदेश दिए थे। अब तक टेंडर ही नहीं जारी हुए। गौरतलब है कि 23 नवंबर 2017 को अस्पताल के एनआईसीयू में आग लग गई थी। हादसे के बाद अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया था कि फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतजाम जल्दी ही कर लिए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

याचिका दायर करने वाली एडवोकेट शन्नाो शगुफ्ता खान ने बताया कि 65 साल पुराने अस्पताल के पास स्थायी फायर एनओसी तक नहीं थी। याचिका दायर होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने अस्थायी एनओसी के लिए आवेदन किया। स्थायी एनओसी के लिए 53 बिंदुओं को पूरा करना होता है, अस्पताल प्रबंधन इन्हें पूरा नहीं कर पा रहा।

हादसे में अस्पताल के एनआईसीयू में रखी मशीनरी पूरी तरह से जल कर खत्म हो गई थी। लाखों का नुकसान हुआ। हादसे के डेढ़ साल बाद भी एनआईसीयू का पुनर्निर्माण शुरू नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि इसे एनआरएचएम के तहत बनाया जाना है। प्रस्ताव भेजा जा चुका है, लेकिन रकम अब तक जारी नहीं हुई।

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