CJI के खिलाफ आरोप: पूर्व महिला कर्मचारी आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई

 
नई दिल्ली

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी शुक्रवार को जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई और अपना बयान दर्ज कराया। समझा जाता है कि अगली सुनवाई सोमवार को होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 जजों की समिति ने शुक्रवार को चैंबर में अपनी पहली बैठक की। इस बैठक में समिति की अन्य सदस्य जस्टिस इन्दु मल्होत्रा और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी भी उपस्थित थीं। 

 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शिकायतकर्ता पूर्व कर्मचारी और सुप्रीम कोर्ट के सेक्रटरी जनरल समिति के समक्ष पेश हुए। समिति ने सेक्रटरी जनरल को इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज और सामग्री के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया था। सूत्रों ने बताया कि समिति ने शिकायतकर्ता का पक्ष सुना। सूत्र ने कहा कि कार्यवाही दोपहर करीब साढ़े 12 बजे शुरू हुई और करीब 3 घंटे चलकर साढ़े 3 बजे खत्म हुई जिस दौरान महिला ने बयान दर्ज कराया। सुनवाई के दौरान सिर्फ महिला उपस्थित थी। 

 
यौन उत्पीड़न आरोपों की समिति द्वारा की जा रही आंतरिक जांच, अदालत द्वारा नियुक्त जस्टिस (रिटायर्ड) ए. के. पटनायक समिति द्वारा की जा रही जांच से अलग है। सीजेआई को फंसाने की व्यापक साजिश और पीठों की फिक्सिंग के बारे में एक वकील के दावे की जांच पटनायक समिति करेगी। जस्टिस बोबडे ने 23 अप्रैल को बताया था कि आंतरिक प्रक्रिया में पक्षकारों की ओर से वकीलों के प्रतिनिधित्व की व्यवस्था नहीं है क्योंकि यह औपचारिक रूप से न्यायिक कार्यवाही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि इस जांच को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है और इसकी कार्रवाई का रुख जांच के दौरान सामने आने वाले तथ्यों पर निर्भर करेगा। 

जस्टिस बोबडे ने आंतरिक जांच के लिए इसमें जस्टिस एन. वी. रमण और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी को शामिल किया था। हालांकि, शिकायतकर्ता ने एक पत्र लिखकर समिति में जस्टिस रमण को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई थी। पूर्व कर्मचारी का कहना था कि जस्टिस रमण सीजेआई के घनिष्ठ मित्र हैं और अक्सर उनके आवास पर आते-जाते हैं। यही नहीं, शिकायतकर्ता ने विशाखा मामले में शीर्ष अदालत के फैसले में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप समिति में महिलाओं के बहुमत पर जोर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि समिति की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही जस्टिस रमण ने खुद को इससे अलग कर लिया। 

जस्टिस रमण द्वारा जांच समिति से खुद को दूर करने के बाद, जस्टिस इन्दु मल्होत्रा को इस समिति में शामिल किया गया। इस तरह समिति में अब 2 महिला जज हैं। शिकायतकर्ता महिला दिल्ली में सीजेआई के आवासीय कार्यालय में काम करती थी। उसने एक हलफनामे में सीजेआई पर यौन उत्पीड़न का आरेाप लगाते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों के आवास पर भेजा था। 

महिला ने अपने हलफनामे में जस्टिस गोगोई के सीजेआई नियुक्त होने के बाद कथित उत्पीड़न की 2 घटनाओं का जिक्र किया था। सीजेआई पर यौन उत्पीड़न के आरोप की खबरें सामने आने पर शीर्ष अदालत ने 20 अप्रैल को ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित अत्यधिक महत्व का सार्वजनिक मामला’ शीर्षक से सूचीबद्ध विषय के रूप में अभूतपूर्व तरीके से सुनवाई की थी। 
 

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