Budget 2019: जानें, किसानों-युवाओं और मिडिल क्लास को बजट में क्या दे सकते हैं पीयूष गोयल

 नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करने को तैयार है. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि ये अंतरिम बजट ही होगा, लेकिन जिस तरह कयास है, और सरकार की जो तैयारी दिख रही है, उसके बाद लग रहा है कि इस बार बजट बेहद खास रहने वाला है. पिछले संसद सत्र में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि ये स्लॉग ओवर्स में सरकार कई छक्के लगाने वाली है, ऐसे में बजट वो मौका है जब उम्मीद की जा रही है कि सरकार राहत के पिटारे खोल सकती है.

पिछले कुछ महीनों में सबसे ज्यादा राजनीति किसानों के हाल पर हुई है. इसलिए बजट किसानों वाला हो जाए तो बड़ी बात नहीं है. इसलिए किसानों के लिए क्या ऐलान हो सकता है, जरा इस पर एक नजर डाल लेते हैं.

– किसानों की कमाई में मदद देने की किसी योजना का ऐलान हो सकता है.

– कम ब्याज दरों वाले कृषि कर्ज पर बढ़ोत्तरी का ऐलान हो सकता है.

– फसलों पर एमएसपी सीधे बैंक खाते में पहुंचाने के उपाय संभव हैं, साथ ही खाद्य फसलों पर बीमा का प्रीमियम माफ करने का प्रस्ताव संभव है.

– छोटे किसानों को 4 से 5 हजार रुपए प्रति एकड़ सालाना मदद की व्यवस्था हो सकती है. किसान क्रेडिट कार्ड से 5 लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज में राहत संभव है.

किसानों के अलावा मिडिल क्लास भी बजट को लेकर सरकार से बहुत उम्मीदें रखता है. सरकार आयकर देने वालों की तादाद में बढ़ोत्तरी को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाती है, इसलिए इस बार सरकार भी इन उम्मीदों को पूरा कर सकती है.

– इनकम टैक्स में छूट की सीमा और बढ़ायी जा सकती है.

– 5 लाख रुपए तक की कमाई पर आयकर से छूट मिल सकती है.

– साथ ही आयकर के स्लैब में बदलाव हो सकता है.

– इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 40 हजार रुपये से ज्यादा बढ़ाई जा सकती है.

– घर कर्ज पर ब्याज में बजट से राहत भी मिल सकती है.

मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता है, देश में बेरोज़गारी का मुद्दा. नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस से ज़रिए जारी हुए आंकड़ों ने मोदी की ये चिंता और बढ़ा दी है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी नेता इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं.

– आपको बता दें कि नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी है. ये आंकड़ा 45 सालों के उच्चतम स्तर पर है, इससे पहले 1972-73 में देश में बेरोजगारी की दर 6 फीसदी से ज्यादा थी.

– हालांकि पिछले 15 महीने में EPFO के आंकड़ों में अच्छी ग्रोथ दिखी है लेकिन जितने रोजगार की जरूरत है ये उससे बेहद कम हैं.ऐसे में यह चुनावी साल और युवा का वोट पाने के लिए मोदी सरकार युवाओं को लेकर भी कुछ बड़ा ऐलान कर सकती है.

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